नागपुर प्रतिनिधि/दि.२९ – संसद में कृषि सुधारणा संदर्भ के विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद उस पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं अभी भी सामने आ रही है. केंद्र की कृषि नीति के संदर्भ में इससे पहले संघ प्रणित भारतीय किसान संघ ने नाराजगी जतायी थी.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस नीति पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी असंतुष्ट नजर आ रही है. सरसंघचालक के दशहरे पर हुए भाषण में इसके स्पष्ट संकेत दिखायी दिए. कृषि विधेयक को लेकर विविध राज्यों में राजनीति भी गरमाने लगी है. दशहरे के भाषण में केंद्र सरकार की विदेश नीति, कोरोना के संदर्भ में किए हुए कार्यो की प्रशंसा सरसंघचालक ने की थी. लेकिन कृषि क्षेत्र में अब भी बदलाव करने की आवश्यता होने की जानकारी देते हुए नीतियों की खामियों को सामने लाया था. कृषि नीति यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने वाली होनी चाहिए. बीज, खाद के लिए भी वह स्वतंत्र होना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण कृषि नीति यह कॉर्पोरेट क्षेत्र अथवा दलालों का जाल तोडने वाला होना चाहिए. यह भागवत ने अपने भाषण में उल्लेख किया था. इसके अलावा उन्होंने पारंपरिक कृषि पद्धति पर जोर देते हुए आधुनिकता का उपयोग करने पर भी जोर दिया था. भारतीय किसान संघ ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई थी. संघ परिवार और कृषि नीति पर क्या भूमिका देगी इस ओर किसानों की भी निगाहे टिकी हई है.