नागपुर-/दि.4 भारत में जंगल में लगने वाली आग व विकास से वनक्षेत्र कम हो रहा है. विश्वस्तर पर भी वनक्षेत्र काफी कम होने की जानकारी सामने आयी है. गत 6 दशक में विश्व वनक्षेत्र 81.7 दशलक्ष हेक्टर से कम हुआ है. जर्नल एन्व्हायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में यह संशोधन प्रकाशित हुआ है.
पर्यावरण में बदलाव एवं जैवविविधता हानि समान आव्हानों का सामना करने के लिए वनपरिसंस्था महत्वपूर्ण है. इसलिए विश्वस्तर पर वनक्षेत्र कम होना यह अत्यंग गंभीर व महत्व का मुद्दा है. गत 6 दशक में 60 प्रतिशत से वनक्षेत्र कम हुआ है. इसलिए जैवविविधता धोखे में आयी है. 1960 से 2019 इस कालावधि में 81.7 दशलक्ष हेक्टर से यानि संपूर्ण बोर्निओ बेटा के आकार से दस गुना अधिक वनक्षेत्र कम हुआ है. 1960 में 1.4 हेक्टर से 2019 में 0.5 हेक्टर तक जंगलों का नुकसान हुआ है. जंगल के लगातार होने वाले नुकसान व र्हास के कारण वनपरिसंस्था की अखंडता पर असर होता है. उनकी निर्मिति व आवश्यक सेवा प्रदान करने वहीं जैव विविधता टिकाये रखने की क्षमता कम होती है. ऐसा इस संशोधन में बताया गया है. विविध कारणों के लिए जंगल पर अवलंबित रहने वाले विकसनसील देश के 1.6 अब्ज लोगों के जीवन पर भी इसका असर होता है.
जंगल का नुकसान प्रमुख रुप से उष्ण कटिबंध के कम आय वाले देशों में होता है व अतिउष्ण कटिबंध के उच्च आय वाले देशों में भी वह होती है. जंगलों का निरीक्षक यह विविध विश्व पर्यावरणीय एवं सामाजिक उपक्रमों का अविभाज्य भाग है. जिसमेें शाश्वत विकास उद्दिष्ट, पेरिस हवामान करार एवं 2020 के बाद की विश्व जैव विविधता रचना का समावेश है. इस उपक्रम का उद्दिष्ट साध्य करने के लिए मदद करनी हो तो विश्व के शेष जंगलों का संरक्षण व निकृष्ट जंगल क्षेत्र पुनर्संचयित करना होगा. ऐसा भी इस रिपोर्ट मेंं कहा गया है.
इस संशोधन में कम आय वले देशों को विशेषतः उष्ण कटिबद्ध वाले देशों को, उनके वनक्षेत्र का नुकसान कम करने के लिए या उनकी क्षमता सुधारने में मदद करने के लिए उन्हें समर्थन देने की आवश्यकता अधोरेखित की गई है. इतना ही नहीं तो उच्च उत्पन्न वाले दशों ने आयात किये गये उष्ण कटिबंधीय वन उत्पादन पर उसे अमल में लाना आवश्यक है.
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सघन अभ्यास जरुरी
कम विकसित देशों में जंगल के नुकसान का उपग्रह के माध्यम से ली गई यह समीक्षा है. फिर भी जंगल को लगने वाली आग बाबत विकसित देशों की भूमिका का भी अधिक सघन अभ्यास करना आवश्यक है. ऐसा इस अभ्यास के प्रमुख लेखक रोनाल्ड सी. एस्टोक ने इस अभ्यास में कहा है.