विदर्भ आंदोलक प्रा. गमे को मंत्रालय में ‘नो एन्ट्री’
प्रा. गमे ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र, प्रतिबंध हटाने की उठाई मांग
नागपुर/ दि. 26– मंत्रालयीन सुरक्षा एवं नियमों का पालन करने के बाद भी मुझे सामान्य नागरिक के तौर पर मंत्रालय में प्रवेश करने हेतु प्रतिबंधित किया गया है. इस आशय की जानकारी देते हुए स्वतंत्र विदर्भ राज्य की मांग को लेकर आंंदोलन करनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर गमे ने बताया कि, सावर्जनिक हितों के काम हेतु मंत्री एवं सचिव से मिलकर निवेदन देने के लिए मंत्रालय में जाते समय उन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मंत्रालय में प्रवेश हेतु पास देने से इंकार किया गया है और ऐसा करने के लिए मुख्य सचिव के कार्यालय के निर्देश जारी हुए है. जबकि मुख्य सचिव को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि हर व्यक्ति को अपने द्बारा चुनी गई सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का पूरा अधिकार है.
इस संदर्भ में मीडिया को जानकारी देने के साथ ही प्रा. दिवाकर गमे ने बताया कि वे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक के जमाने से यानी वर्ष 1972 के आसपास से ही आम नागरिकों के काम लेकर मंत्रालय ेंमें जाते रहे और समाज हित के, सार्वजनिक स्वरूप के तथा नागरिकों व विद्यार्थियों के कामों संदर्भ में वे मंंत्रालय के अलग- अलग मंत्रियों तथा सरकार के सचिव व अन्य अधिकारियों से भेंट करते हुए उन्हें समस्याओं व शिकायतों के बारे में निवेदन सौपते रहते है. जिसमें से कई निवेदन मंजूर भी हो जाते है. लेकिन इसके बावजूद जब वे 8 अक्तूबर 2024 को मंत्रालय में प्रवेश हेतु बुजुुर्ग नागरिकों के तौर पर पास निकालने गये तो सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें पास देने से इंकार कर दिया. साथ ही उन्हें बताया गया कि मुख्य सचिव कार्यालय से इस बारे में निदेश प्राप्त है. इसी तरह की घटना आगे चलकर 18 अक्तूबर को भी घटित हुई. इसका सीधा मतलब है कि क्योंकि वे प्रशासन में चल रही गडबडियों को उजागर करते है. ऐसे में उनकी आवाज दबाने हेतु जान बूझकर उन्हें मंंत्रालय में प्रवेश देने से रोका जा रहा है.
* यदि शासन व्यवस्था में कोई गडबडियां हो रही है और उसकी वजह से कोई नई पीढियों का नुकसान हो रहा हो तो ऐसी गडबडियों के बारे में सरकार को सही जानकारी देना प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य है. जिसके लिए मंत्रालय में प्रवेश हेतु कोई बाधा उत्पन्न नहीं की जा सकती है. अत: यदि इसे लेकर संबंधित अधिकारी या विभाग को कोई आदेश दिया गया है, तो उसे तुरंत वापिस लिया जाए. साथ ही किस कारण के चलते ऐसा आदेश जारी किया गया. इसका लिखित जबाव भी दिया जाए, ऐसी मांग हमने राज्य के मुख्य सचिव से की है.
प्रा. दिवाकर गमे,
प्रदेश उपाध्यक्ष, राकांपा
पूर्व संचालक, महाज्योति (नागपुर)