विदर्भ

विदर्भ को भुगतने होंगे तापमान की लहर के गंभीर परिणाम

आयपीसीसी की मूल्यांकन रिपोर्ट व्दारा दिया सर्तकता का इशारा

नागपुर/ दि.2 – इंटरगर्व्हन्मेटल पॅनल ऑन क्लायमेट चेंज (आयपीसीसी) की 6 वीं मूल्यांकन रिपोर्ट का दूसरा भाग सोमवार को प्रकाशित किया गया. सुविख्यात मौसम वैज्ञानिक एवं लेखक डॉ. अंजल प्रकाश ने आयपीसीसी रिपोर्ट में महाराष्ट्र सहित अन्य भागों में धोखे के लक्षण निर्दशन में लाए है. जिसमें कहा गया है कि भविष्य में विदर्भ को तापमान की लहर के परिणाम भुगतने होंगे.
आगामी काल में तापमान की लहर बढेगी और उसके परिणाम मध्य भारत के भागों में विशेषत: विदर्भ में ज्यादा परिणाम होगा. रिपोर्ट तापमान से बचने हेतु व वातावरण ठंडा रखने के लिए पेसिव कूलिंग टेक्नॉलाजी वास्तु कला व्यवस्था की ओर ध्यान देना होगा. आधुनिक जीवनमान सुधारने के लिए भूतकाल के पर्यायो का विचार करना होगा. भारत में पहले परिसर को ठंडा रखने के लिए विविध पारपंरिक योजनाएं की जाती थी. आगामी काल में बढते तापमान को रोकने के लिए वही पारंपरिक उपाय योजना करनी होगी.

वेट-बल्ब टेम्परेचर्स मनुष्य के लिए घातक
वेट-बल्ब टेम्परेचर्स उष्णता व आद्रता को एकत्र करने का प्रमाण जिसका उल्लेख अभ्यास में दर्ज किया गया है. एक स्वस्थ्य व्यक्ति छांव में बैठा है तो उसका वेट-बल्ब टेम्परेचर 39 अंश सेल्सियस रहता है तो वह उसके लिए घातक है. अधिकांश देशों में औसतन वेट-बल्ब टेम्परेचर 25 से 30 अंश सेल्सियस है. विदर्भ सहित मध्य भारत के कुछ भागों में तथा किनारे पर रहने वाले शहरों को तापमान की लहर का धोखा है ऐसा स्पष्ट रिपोर्ट में कहा गया.

स्थलांतर की संभावनाएं बढी
विश्व स्तर पर नैसर्गिक आपदा, अकाल आदि होने पर नागरिक स्थलांतर कर सुरक्षित जगह पर पहुंच जाते है. बदलते वातावरण को लेकर भी स्थलांतर की संभावनाएं बढ रही है. ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर लोग बढ रहे है.

बदलते वातावरण से संघर्ष करना आवश्यक
आयपीसीसी की रिपोर्ट में अनेको बातों का उल्लेख किया गया है. विश्व में 4.2 बीजेन से भी अधिक लोग शहरों में रहते है. भारत में शहर की ओर लोगों का रुझान बढा है बदलते वातावरण से संघर्ष करना आवश्यक है ऐसा रिपोर्ट में दर्ज किया गया.

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