65 वर्ष की आयु के बाद ड्राइविंग से लेना चाहिए ‘वीआरएस’
नागपुर/दि.8 – गत रोज नागपुर स्थित वनामति सभागृह में सडक सुरक्षा अभियान कार्यक्रम अंतर्गत ख्यातनाम फिल्म अभिनेता नाना पाटेकर ने केंद्रीय भूतल परिवहन व महामार्ग मंत्री नितिन गडकरी का साक्षात्कार लिया. सडक सुरक्षा के मुद्दे को लेकर संवेदनशील रहने वाले इन दोनों गणमान्यों के बीच हुआ वार्तालाप काफी बेहतरीन भी रहा और नाना पाटेकर के तेज रफ्तार प्रश्नों पर मंत्री गडकरी ने संयमित उत्तर देते हुए सुरक्षित ‘ड्रायविंग’ की.
इस समय साक्षात्कार की शुरुआत में ही नाना पाटेकर ने 60 वर्ष की आयु के बाद ड्रायविंग से निवृत्ति को लेकर सवाल पूछा था और कहा था कि, 60 वर्ष के आयु के बाद शरीर थक जाता है, साथ ही आंखे भी कमजोर हो जाती है. ऐसे में 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके लोगों के लिए ड्रायविंग हेतु कोई जांच आवश्यक क्यों नहीं की जानी चाहिए. जिस पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि, उनके हिसाब से 65 वर्ष की आयु पूर्ण होते ही लोगों ने खुद होकर ड्रायविंग से स्वेच्छा निवृत्ति ले लेनी चाहिए. साथ ही अपने शारीरिक व स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए तय करना चाहिए कि, अब वे वाहन नहीं चलाएंगे.
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि, देश में जहां एक ओर सडके बेहतर बनाई जा रही है. वहीं दूसरी ओर सडकों पर होने वाले हादसों तथा हादसों में होने वाली मौतों की बढती संख्या बेहद चिंताजनक विषय है. ऐसे में सडक हादसों की वजहों को खोजते हुए आवश्यक उपाय किये जा रहे है और रोड इंजिनियरिंग में रहने वाली त्रृटियों को सुधारने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा केेंद्रीय मंत्री गडकरी ने यह भी कहा कि, कई लोग आलोचनात्मक स्तर पर यह भी कहते है कि, सडके बेहतर हो जाने की वजह से सडक हादसों की संख्या बढी है. जबकि हकीकत यह है कि, यातायात नियमों की अनदेखी किये जाने की वजह से हादसे बढे है. ऐसे में नागरिकों में यातायात नियमों को लेकर जागरुकता व संवेदनशीलता बढाये जाने की जरुरत है.
* शालेय जीवन से ही सडक सुरक्षा को लेकर जागरुक करना जरुरी
इस साक्षात्कार में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यह भी कहा कि, सडक सुरक्षा व यातायात संबंधित नियमों को लेकर जागरुकता व संवेदनशीलता बढाने के लिए यह बेहद जरुरी है कि, विद्यार्थियों को शालेय जीवन से ही इससे संबंधित जानकारी दी जानी बेहद जरुरी है, ताकि सडक सुरक्षा से संबंधित मुद्दे को नई पीढी के बच्चों में संस्कार के तौर पर रोपित किया जा सके और जब नई पीढी के बच्चे युवा होने के बाद वाहन लेकर सडकों पर उतरें, तो वे यातायात नियमों को लेकर पूरी तरह से जागरुक रहे. साथ ही केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इस बात को लेकर खेद जताया कि, देश में प्रतिवर्ष होने वाले सडक हादसों में 1 लाख 68 हजार मौते होती है और ऐसे हादसों में होने वाली मौतों में 18 से 34 वर्ष आयु गुट वाले युवाओं का प्रमाण 65 फीसद रहता है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, सडक हादसों में हमारे देश की युवा शक्ति का कितना अधिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में बेहद जरुरी है कि, सडक हादसों को लेकर सभी लोग बेहद जागरुक व संवेदनशील बने.