विदर्भ

वर्धा स्टील प्लाँट ने महावितरण के 50 करोड हजम किये

ठगने के बाद भी महालक्ष्मी की पुलिस थाने में शिकायत नहीं

नागपुर/दि.17 – महावितरण भले ही कंगाली के मुहाने पर पहुंच गई है, लेकिन इसके वरिष्ठ अधिकारी कंपनी को गर्त में ले जाने में कोई कसर नहीं छोड रही. हात लगे दस्तावेज स्पष्ट कर रहे है कि, महावितरण के मुख्य कार्यालय ने वर्धा जिले के देवली स्थित स्टील प्लाँट महालक्ष्मी टीएमटी को सीधे तौर पर 50 करोड रुपए दान में दे दिये है. इस कंपनी द्वारा घोटाला किये जाने के बाद भी इसके खिलाफ महावितरण ने पुलिस थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई.महावितरण के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनिल कांबले भी इस घोटाले के बारे में कोई जवाब नहीं दे पाये.
महालक्ष्मी ने विदर्भ मराठवाडा की औद्योगीक रियायत योजना का गैर कानूनी तरीके से लाभ उठाते हुए महावितरण के अधिकारियों के साथ मिली भगत कर महावितरण को 49.21 करोड रुपयों का चुना लगाया. कंपनी ओपन एक्सेस ग्राहक थी. जिसके पास महावितरण का कनेक्शन था. जब राज्य सरकार ने नये उद्योग या औद्योगिक विस्तार के लिए प्रति यूनिट 75 की दर से रियायत देने की घोषणा की. तब महालक्ष्मी को ओपन एक्सेस छोड दिया और वह महावितरण की स्थायी ग्राहक बन गई. इससे महावितरण की ओर से कंपनी के प्लाँट को बिजली की आपूर्ति बढ गई. मगर महालक्ष्मी ने महावितरण का बिजली बिल भरा नहीं. महावितरण के अधिकारियों से मिलिभगत कर महावितरण को 50 करोड का चुना लगाया.

ऊर्जा विभाग मौन

विगत कुछ माह से ऊर्जा विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. राज्य सरकार की अनुमति बीना महावितरण के अधिकारियों ने मराठवाडा व विदर्भ के मोबालइ टॉवर्स की इलेक्ट्रीसिटी ड्युटी माफ की है. एमएसएमई होल्डिंग कंपनी ने बगैर टेंडर और बिना योग्यता के जनसंपर्क एजेंसी और महाप्रबंधक नियुक्त किये है. कंपनी ओैर महाप्रबंधक, सरकार के मंत्री बेहद करीबी है. इसके बावजूद ऊर्जा विभाग की ओर से इन सभी घोटाले के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया.

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