
* 5 हजार रुपए खावटी कायम रखी
नागपुर /दि.1– मां के साथ रहने वाली बेटी को 5 हजार रुपए महिना खावटी देने का विरोध करने वाले पिता को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने कडी फटकार लगाई. व्यक्ति के पालन-पोषण की उचित सुविधा करना यह खावटी का उद्देश्य है. इस कारण पिता को उसकी बेटी जानवरों के जैसा जीवन बिताये, ऐसी अपेक्षा करते नहीं चलेगा. ऐसा न्यायालय ने कडे शब्दों में कहा.
इस प्रकरण के माता-पिता नागपुर जिले के रहने वाले है. बेटी 11 वर्ष की आयु की है. इसके माता-पिता ने पारिवारिक विवाद के कारण तलाक लिया है. बेटी मां के साथ रहती है. पिता ने उसके पालन-पोषण की कोई भी सुविधा नहीं की थी. इस कारण उसने पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर कर पिता से खावटी मांगी थी. पारिवारिक न्यायालय ने विविध बातों को ध्यान में रखते हुए बेटी को 5 हजार रुपए प्रतिमाह खावटी मंजूर की. इस फैसले के खिलाफ पिता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस पर न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फलके के समक्ष सुनवाई हुई. पश्चात न्यायालय ने खावटी का मकसद स्पष्ट कर इस याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही पिता को जोरदार फटकार भी लगाई. न्यायालय ने कहा कि, पिता के साथ रही होती, तो बेटी जैसा जीवन बिताया रहता. उसी तरह मां के साथ रहते हुए भी उसे जीने का पूरा अधिकार है. वर्तमान में जीवनावश्यक वस्तुओं के भाव आसमान छू रहे है. इस कारण बेटी को मंजूर हुई खावटी बराबर है, ऐसा भी न्यायालय ने स्पष्ट किया.
* वार्षिक आय 4 से 5 लाख के बावजूद टालमटोल
पिता का अमरावती रोड पर बाजार गांव में ढाबा है. उसके पास खेती नहीं है. उसकी वार्षिक आय 4 से 5 लाख रुपए है. ऐसा रहते हुए भी उसने प्रतिमाह 5 हजार रुपए खावटी देने में सक्षम नहीं है, ऐसा दावा किया था. न्यायालय ने इस दावे को खारिज कर दिया. बेटी की मां निजी नौकरी करती है. उसे 20 हजार रुपए प्रतिमाह का वेतन मिलता है. उससे वह अपनी बेटी का पालन-पोषण कर रही है. बेटी की शिक्षा, कपडे और अन्य दैनंदीन खर्च का भार उठा रही है. मां-बेटी आर्थिक परेशानी में अपना जीवन बीता रही है. न्यायालय ने अपने फैसले में यह बात भी ध्यान में रखी.