नाशिक/दि.6 – मराठी भाषा के स्वाभिमान का हमें सम्मान करना चाहिए. क्योंकि अगर भाषा की अवहेलना हुई, तो हमारी अस्मिता भी समाप्त होगी, ऐसा पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा. बीते तीन दिनों से नाशिक शहर में चल रहे 94वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का रविवार को समापन हुआ. इस दरमियान प्रमुख अतिथि के रुप में पवार उपस्थित थे.
शरद पवार ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर के साहित्य का उल्लेख करते समय उन्हें गौरवशाली बताया. इतना ही नहीं तो कुसुमाग्रज का नाम साहित्य नगरी को देने के फैसले का भी उन्होंने स्वागत किया. पवार ने कहा कि समाज में मराठी भाषा का उपयोग अधिक करना आवश्यक है. इसके अलावा स्कूली शिक्षा के लिए अंग्रेजी का सबसे अधिक उपयोग होता है. इसी कारण महाविद्यालयीन शिक्षा में मराठी के अधिक उपयोग पर ध्यान देना चाहिए. पवार ने पिछडे वर्ग की बोली भाषा को साहित्य व मराठी कोष में अधिक स्थान देने का भी आग्रह किया. कार्यक्रम के समापन अवसर पर न्यायमूर्ति नरेंद्र चपलगांवकर, साहित्य महामंडल के अध्यक्ष कौतिकराव, ठाले पाटील, विधानसभा के सभापति नरहरी झिरवाल, सांसद श्रीनिवास पाटील, पूर्व सांसद समीर भुजबल, विधायक माणिकराव कोकाटे, पंकज भुजबल, मुख्य समन्वयक विश्वास ठाकुर, लोकहितवादी मंडल के जयप्रकाश जातेगांवकर, मुकुंद कुलकर्णी, सार्वजनिक वाचनालय के प्रा.शंकर बोर्हाडे समेत साहित्य महामंडल के पदाधिकारी उपस्थित थे. कार्यक्रम में उपस्थित मान्यवरों का प्राचार्य प्रशांत पाटील ने स्वागत किया.