तत्कालीन मुख्याधिकारी वंजारी पर कौनसी कार्रवाई?
हाईकोर्ट ने नगर विकास विभाग के सचिव से मांगा जवाब
नागपुर /दि. 26– वाशिम जिले के कारंजा लाड नगर परिषद की तत्कालीन मुख्याधिकारी गीता रमेश वंजारी के खिलाफ जारी विभागीय कार्रवाई का क्या हुआ, इस बाबत जवाब प्रस्तुत करने के आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने नगर विकास विभाग के सचिव को दिए है. वर्तमान में अमरावती विभागीय आयुक्त कार्यालय में उपायुक्त के रुप में कार्यरत वंजारी के विरोध में फर्जी बिल प्रस्तुत कर घोटाला करने के आरोप में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता का नाम कारंजा के सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुधीर देशपांडे और शेखर कान्नव है.
इस प्रकरण पर न्यायमूर्ति नितिन सांबरे व न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. याचिका के मुताबिक गीता वंजारी के विरोध में याचिकाकर्ता ने जून 2022 में इसी आरोप में याचिका दायर की थी. इस पर जवाब देते हुए गीता वंजारी की विभागीय जांच नवंबर 2022 में पूरी हो गई है. रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाएगा, ऐसा राज्य शासन ने दर्ज किया था. इस कारण जांच अधिकारी द्वारा नियमानुसार 6 सप्ताह में वह रिपोर्ट नगर विकास विभाग के पास प्रस्तुत करने की बात दर्ज करते हुए उच्च न्यायालय ने इस याचिका का निपटारा किया था. लेकिन शासन द्वारा वंजारी के विरोध में आगे कोई कार्रवाई न किए जाने से याचिकाकर्ता ने फिर से उच्च न्यायालय में गुहार लगाई. नगर विकास विभाग ने जांच रिपोर्ट सहित विभागीय चार्जशीट के साथ 10 नवंबर 2015 को उपस्थित रहने के निर्देश विभागीय आयुक्त को दिए थे. वंजारी के स्थान पर कार्यरत हुए तत्कालीन मुख्याधिकारी को भी फर्जी बिल प्रस्तुत कर घोटाला करने की बात ध्यान में आने पर उन्होंने वंजारी सहित अन्यों को 10 जून 2016 को पत्र भेजा. लेकिन जांच के मुताबिक गीता वंजारी के खिलाफ अब तक कोई भी कार्रवाई न किए जाने की बात याचिका में दर्ज है. इस जांच का क्या हुआ, इस पर जवाब दाखिल करने के आदेश उच्च न्यायालय ने विभाग के सचिव को दिए है. आगामी सुनवाई 21 जनवरी को निश्चित की गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से शेखर कान्नव ने अपना पक्ष रखा.
* दौरा न किए सफर के बिल
गीता वंजारी 18 अगस्त 2010 से 30 अक्तूबर 2013 कार्यकाल में मुख्याधिकारी के रुप में कार्यरत थी. इस कालावधि में उन्होंने सहकारी कर्मचारियों की सांठगांठ से तथाकथित सफर के फर्जी बिल प्रस्तुत कर पैसा ऐंठा रहने का आरोप याचिका में किया गया है. अनेक बार प्रत्यक्ष सफर न करने के बावजूद केवल फर्जी बिल प्रस्तुत कर अवैध रुप से पैसे प्राप्त किए. इसमें के कुछ बिल तो दुपहिया, ट्रैक्टर, लाईसेंस न रहे वाहनों के भी दिखाई दिए थे. इसके अलावा 2011-12 वर्ष के लेखापरिक्षण की रिपोर्ट की आपत्ति पर समाधानकारक जवाब न देते हुए उसका निपटारा किया गया, ऐसा दर्ज है.
* पांच कर्मियों पर कार्रवाई, वंजारी पर कुछ नहीं
सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने अमरावती के विभागीय आयुक्त के पास की शिकायत के मुताबिक गीता वंजारी की इस प्रकरण में जांच करने के लिए 10 फरवरी 2014 को तीन सदस्यीय समिति गठित की गई. जुलाई 2014 में इस जांच की रिपोर्ट राज्य शासन को भेजी गई. शासन निर्णय के मुताबिक शिकायत 6 माह में निपटाना आवश्यक है. लेकिन शासन ने मार्च 2015 में शामिल अन्य 5 अधिकारी और कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई की. लेकिन गीता वंजारी पर 10 साल बितने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.