विदर्भ

प्लाझ्मा पर संशोधन में क्या प्रगति हुई?

मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ व्दारा नीरी संचालकों से पूछताछ

नागपुर/प्रतिनिधि दि.१०कोरोना मरीजों को प्लाझ्मा देना फायदेमंद है या नुकसानकारक है, यह जाननेे के लिये किये जा रहे संशोधन में अब तक क्या प्रगति हुई, इस बारे में मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने बुधवार को नीरी संचालकों से पूछताछ की व इस पर आगामी 30 जून तक जानकारी प्रस्तुत करने कहा.
न्यायालय ने गत 12 मई को इस संदर्भ में संशोधन करने की सूचना नीरी को दी थी. जिसके अनुसार संशोधन शुरु किये जाने की संभावना न्यायालय व्दारा यह जानकारी मांगने से पूर्व व्यक्त की. वहीं सखोल संशोधन के लिये नीरी को किसी की भी मदद चाहिए हो तो उस विषय में नयालय को अवगत करने कहा गया. संबंधित प्रकरण पर न्यायमूर्तिव्दय सुनील शुक्रे व अविनाश घरोटे के समक्ष सुनवाई हुई. दरमियान न्यायालय ने इसके साथ ही अन्य मुद्दों पर भी विविध निर्देश जारी किये.
केंद्र सरकार की उपाययोजना के कारण म्युकरमायकोसिस पर
एम्फोटेेरिसिन-बी लिपोसोमल व लिपिड कॉम्प्लेक्स इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ा है. परिणामस्वरुप 4 जून को महाराष्ट्र को 4012 मरीज को ध्यान में रखते हुए 23 हजार 110 एम्फोटेेरिसिन-बी इंजेक्शन की जानकारी भी प्रस्तुत करने के आदेश केंद्र सरकार को दिये. बावजूद इसके राज्य सरकार को जिला निहाय वितरण की जानकारी मांगी. एम्फोटेेरिसिन-बी इंजेक्शन का वितरण मरीजों की संख्यानुसार होना चाहिए. इस कारण राज्य सरकार ने एम्फोटेेरिसिन-बी इंजेक्शन के वितरण के चार्ट में मरीजों की संख्या का तुरंत समावेश किया जाये, ऐसा भी न्यायालय व्दारा कहा गया.

  • अस्वच्छता हेतु कितने अस्पतालों पर की गई कार्रवाई

राज्य में 15 मई 2015 को कायाकल्प ः स्वच्छ रुग्णालय योजना लागू की गई है. जिसके अंतर्गत नियमों का पालन करने वाले कितने अस्पतालों को पुरस्कृत किया गया व नियमों का उल्लंघन करने वाले कितने अस्पतालों पर कार्रवाई की गई, इसकी जानकारी आगामी तारीख तक प्रस्तुत करने के निर्देश न्यायालय ने राज्य सरकार को दिये. म्युकरमायकोसिस नियंत्रण हेतु साफ सफाई आवश्यक है. सरकार व्दारा इसके सहित विविध उपाययोजना की गई है. लेकिन इतना ही काफी नहीं है. म्युकरमायकोसिस को दूर करने के लिये तेज गति से काम करना जरुरी है इस ओर न्यायालय ने सरकार का ध्यानाकर्षित किया.

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