चांदूर बाजार/प्रतिनिधि दि.११ – इन दिनोें बडे पैमाने पर संतरा, मौसंबी फलों का गलन हो रहा है. लेकिन इस ओर राज्य सरकार का जरा भी ध्यान नहीं होने और संतरा उत्पादक किसानों को अनुदान नहीं दिए जाने के साथ ही कोई भी जनप्रतिनिधि किसानों के बगीचे तक नहीं पहुंचा है. यह आरोप भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने अमरावती जिले के दौरान मोर्शी में लगाया था. इस बयान को लेकर राज्यमंत्री बच्चू कडू ने पलटवार करते हुए कहा कि चंद्रकांत पाटिल का बयान अभ्यासपूर्ण नहीं है. उन्होंने केवल गन्ना फसल का ही अभ्यास किया है.
राज्यमंत्री बच्चू कडू ने कहा कि संतरा फल गलन रोकने के लिए उपाय ढूंढने हेतु नागपुर स्थित नींबूवर्गीय फल संशोधन केंद्र कार्यरत है और यह केंद्र केंद्र सरकार के अधीनस्थ आता है. केंद्र में भाजपा की सरकार है यह भी पाटिल ने ध्यान रखना चाहिए. संशोधन केंद्र पर केंद्र सरकार सालाना करोडों रुपए खर्च करती है लेकिन अब तक संतरा फल गलन को लेकर कोई भी उपाय नहीं ढूंढा गया. एनआरसी के रुप में गिने जाने वाले इस संशोधन केंद्र के 400 एकड बगीचे में एक भी पेड की अवस्था ठीक नहीं है. केंद्र सरकार ने इसे लेकर भी कोई कदम नहीं उठाया है. फल गलन की मुख्य वजह घटिया किस्म की कलम होती है. यह कलमें सुधारने के लिए पीकेवी की एक समिति नियुक्त की गई है. आनेवाले एक माह में यह समिति अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. राज्यमंत्री बच्चू कडू ने कहा कि संतरा उत्पादक किसानों के संतरा फल की नीलामी के लिए केंद्र सरकार के किसान विरोधी नीतियां जिम्मेदार है.
बांगला देश में जब संतरा आयात कर बढाया तब से ही वहां पर संतरा भेजने की प्रक्रिया बंद पड गई है. इस स्थिति में केंद्र सरकार ने संतरे की निर्यात कर सबसीडी की घोषणा करनी चाहिए. एक तरफ मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया की नीतियां बनाई जा रही है जबकि प्रत्यक्ष में कृषि माल के निर्यात पर सबसीडी नहीं दी जा रही है. सबसीडी को लेकर इससे पूर्व भी पत्र दिया गया था. जिसकी जानकारी नितिन गडकरी को दी गई थी लेकिन इस ओर केंद्र सरकार ने नजरअंदाज करने का काम किया है. केंद्र सरकार की नीतियां किसान विरोधी यह चंद्रकांत पाटिल ने समझना चाहिए. चंद्रकांत पाटिल ने फल गलने को लेकर राज्य सरकार पर जो आरोप लगाया है वह हास्यास्पद है. किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर राज्य सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है.