विदर्भ

सूचना आयोग के निर्णय को राज्य में कोई कीमत हैं या नहीं?

आयोग के आदेश पर अमल ही नहीं होने का आरोप

  • मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को हाईकोर्ट की नोटीस

  • अधिकारी कर रहे सूचना अधिकार को विफल करने का प्रयास

औरंगाबाद/दि.12 – सूचना अधिकारी की वजह से जहां एक ओर कई सरकारी अधिकारियों व महकमों की कारगुजारियां उजागर हुई है, वहीं कर्तव्य में कोताही करनेवाले और गलत तरीकों से आर्थिक लाभ की मलाई खींचनेवाले अधिकारियों व कर्मचारियों में जबर्दस्त हडकंप व्याप्त है. जिस सूचना अधिकार की वजह से प्रशासन कई बार दिक्कत में आ जाता है, उसी सूचना अधिकार को विफल करने का प्रयास अधिकारी वर्ग द्वारा किया जा रहा है. इस आशय का आरोप लगाते हुए एक याचिका मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ में दायर की गई है. इस याचिका में दावा किया गया है कि, सूचना आयोग द्वारा सुनाये गये दंड की अधिकारियों द्वारा कोई परवाह नहीं की जाती. साथ ही सूचना आयोग के आदेश पर कोई अमल भी नहीं किया जाता.
न्या. एस. वी. गंगापुरवाला व न्या. एस. जी. दिघे की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव, औरंगाबाद जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्राथमिक शिक्षाधिकारी तथा जनसुचना अधिकारी को नोटीस जारी की है. वहीं अब आगामी 2 मार्च को इस मामले में अगली सुनवाई होगी.

क्या है मामला

मिटमिटा गांव निवासी मोहम्मद अजीमोद्दीन ने अपने वकील एड. सईद एस. शेख के जरिये औरंगाबाद खंडपीठ में याचिका दाखिल की है. जिसमें बताया गया है कि, अजीमोद्दीन ने 11 नवंबर 2019 को औरंगाबाद की जिला परिषद के सूचना अधिकारी से सूचना अधिकार अधिनियम अंतर्गत जानकारी मांगी थी और तय समय के भीतर जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने शिक्षाधिकारी (प्राथमिक) के पास प्रथम अपील दायर की थी. किंतु इसके बाद भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई. जिसके चलते उन्होंने राज्य सूचना आयोग की औरंगाबाद खंडपीठ में दूसरी अपील दाखिल की.

सूचना आयोग के आदेश का भी पालन नहीं

इस मामले में 2 मार्च 2021 को सूचना आयोग के समक्ष अंतिम सुनवाई हुई और राज्य सूचना आयुक्त ने प्रथम अपिलीय अधिकारी को तमाम जांच-पडताल के बाद आदेशित किया कि, आवेदक को बिना मूल्य आवश्यक जानकारी प्रदान की जाये. साथ ही जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को जानकारी नहीं देने के मामले में प्रथम अपिलीय अधिकारी पर कार्रवाई करने के आदेश दिये. किंतु इसके बावजूद भी संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके चलते हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है और इस याचिका में मांग की गई है कि, राज्य सूचना आयुक्त के आदेश पर अमल करवाया जाये.

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