-
राज्य सरकार को नोटिस
नागपुर/प्रतिनिधि दि.९ – अनुकंपा प्रतीक्षा सूची में उम्मीदवार का नाम क्यों नहीं बदल सकते. ऐसा सवाल कर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने राज्य शासन को नोटिस बजाई है. इस संबंध में चार सप्ताह में उत्तर देने के आदेश दिए है. अंजली चव्हाण और उम्मीदवारों ने नागपुर खंडपीठ में याचिका दर्ज की है.
इस मामले में न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूति अनिल किलोर के समक्ष सुनवाई हुई. याचिकानुसार २१ सितंबर २०१७ को शासन निर्णयानुसार अनुकंपा उम्मीदार को प्रतीक्षा सूची में एक बार दिया गया नाम बदल नहीं सकते, ऐसा प्रावधान किया गया है. इस उम्मीदवार का नाम ४५ वर्ष पूरे होने तक सूची में से निकाल दिया जाता है. उस जगह पर परिवार के अन्य उम्मीदवार का नाम सूची में नहीं लिया जाता है. जिसके कारण अनुकंपा नियुक्ति नीति का लाभ मृत कर्मचारियों के परिवार को नहीं मिलता है. प्रतीक्षा सूची में नाम रहनेवाले उम्मीदवार दौरान के समय शारीरिक अथवा अन्य किसी भी कारण से नोकरी करने के लिए अपात्र रहने पर उस जगह पर परिवार के अन्य उम्मीदवार का नाम सूची में शामिल नहीं कर सकते. केवल प्रतीक्षा सूची में उम्मीदवार सूची में होने में मरने के बाद ही नाम बदल सकते है. प्रतीक्षा सूची में उम्मीदवार मृत होने अथवा ४५ वर्ष पूरे होने पर दोनों ही मामले में नौकरी नहीं मिलती. दोनों मामले नाम सूची से निकाल दिए जाते है. यह प्रावधान नियम के खिलाफ है. इसमें से परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने का उद्देश्य सफल नहीं होता. ऐसा याचिका में दर्ज किया है. न्यायालय ने राज्य सरकार और अमरावती जिला परिषद को नोटिस देकर चार सप्ताह में उत्तर मांगा है. याचिकाकर्ता द्वारा एड. प्रदीप क्षीरसागर ने पैरवी की.
-
कर्मचारी की पुत्री अडचन में
अमरावती जिले के उम्मीदवार याचिकाकर्ता के पिता जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग मेंं कार्यरत होने पर २००९ में मृत्यु को प्राप्त हुए. उसके बाद माता का नाम १० वर्ष तक प्रतीक्षा सूची में था. २५ जून २०२० को ४५ साल की उम्र होने से निकाल दिया गया. उसके बाद २० मई २०२१ को माता की मृत्यु हो गई. जिसके कारण परिवार की दोनों लड़किया आर्थिक समस्या का सामना कर रही है. ऐसी स्थिति में नाम न बदलने के कारण अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकती. जिसके कारण इस प्रावधान को नागपुर खंडपीठ में आवाहन दिया है.