विदर्भ

आखिर दवाईयों की कमी क्यों महसूस हो रही

उच्च न्यायालय ने उठाया सवाल

प्रतिनिधि/दि.१४

नागपुर – संपूर्ण राज्य भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ रही है. रैमेडीवीसीर सहित अन्य कोरोना मारक दवाईयों की कमी महसूस हो रही है. इसी पृष्ठभूमि पर मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार को जवाब तलब किया है कि आखिर दवाईयों की कमी क्यों महसूस हो रही है. इस संबंध में सप्ताहभर में जवाब देने के आदेश दिए गए है. जिला विधि विशेषज्ञ संगठन की अध्यक्ष एड. कमल सतुजा ने इस संबंध में जनहित याचिका दाखिल की है. इस याचिका पर न्यायमूूर्ति रवि देशपांडे और न्यायमूर्ति नितिन सूर्यवंशी के समक्ष सुनवायी हुई. सुनवाई के दरमियान दवाई की कमी का मुद्दा रखा गया. निर्धारित समय पर कोरोना मारक दवा नहीं मिलने पर शिक्षाक्षेत्र के सुनील मिश्रा के अलावा हाईकोर्ट में वकीली करने वाले एड. शशीकांत बोरकर की मृत्यु हुई. सरकारी अस्पताल में गुणवत्ताहीन उपचार किए जा रहे है. कोरोना मरीजों के लिए बेहतरीन सुविधायुक्त वार्ड नहीं है. दुर्बल समूह के मरीजों को जैसे तैसे उपचार करवाना पड रहा है. निजी अस्पताल में वे जा नहीं सकते उनके तरफ सरकार गंभीरता से ध्यान नहीं दें रही है. उपचार की गुणवत्ता बढाने के लिए समिती स्थापित की जाए. इसके अलावा कोरोना मरीजों से मनमाना शुल्क वसूलने वाली निजी अस्पतालों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट और विदर्भ में उपलब्ध कोरोना मारक दवाईयों के स्टॉक की जानकारी न्यायालय में प्रस्तुत किए जाए. इस मामले में सेंट्रल ड्रग्ज स्टैंर्डड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन, महापालिका आयुक्त, विभागीय आयुक्त, जिलाधिकारी, इंडियन कौन्सिल फॉर मेडिकल रिसर्च, मेडिकल के अधिष्ठाता, मेयो के अधिष्ठाता को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से एड. श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा.

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