कोरोना मरीजों के इलाज का खर्च क्यों नहीं उठाती राज्य सरकार?
बार-बार आदेश के बावजूद हाईकोर्ट में जवाब नहीं दे रही सरकार
नागपुर प्रतिनिधि/दि.३०- कोरोना मरीजों के लिए बेड की कमी की समस्या पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका को खारिज करने की राज्य सरकार की विनती को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने ठुकरा दिया है. इस जनहित याचिका का विरोध करने वाली राज्य सरकार की भूमिका पर भी हाईकोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया है. दरअसल राज्य सरकार ने 30 अप्रैल और 21 मई 2020 को नोटिफिकेशन जारी करके निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज की दरें नियंत्रित की है. साथ ही 80 फीसदी बेड भी आरक्षित रखे हैं.
सरकार की दलील है कि, आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 65 और एपिडेमिक डिसीज एक्ट 1897 की धारा 2 के तहत उन्हें निजी अस्पतालों के नियंत्रण के पूरे अधिकार है. लेकिन मुद्दा यह है कि इन्हीं अधिनियमों में मुआवजे का भी प्रावधान है. लेकिन हाईकोर्ट के बार-बार पूछने पर भी निजी अस्पतालों को मुआवजा देने या मरीजों को खर्च की प्रतिपूर्ति देने पर राज्य सरकार कोई उत्तर नहीं दे रही है. न्यायालयीन मित्र एड. श्रीरंग भंडारकर ने राज्य सरकार की इस भूमिका को कोर्ट की अवमानना वाला करार दिया. तो वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता सुबोध धर्माधिकारी ने भी दलील दी कि सरकार मुआवजे से बचने के लिए अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं कर रही है.