विदर्भ

आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य कर्मियों के पद रिक्त क्यो?

हाईकोर्ट ने वैद्यकीय शिक्षा विभाग से मांगा जवाब

नागपुर-दि.30 राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मचारियों के पद रिक्त क्यो है और इन पदों पर नियुक्ति हेतु क्या किया जा रहा है, इस आशय का सवाल मुंबई उच्च न्यायालय ने वैद्यकीय शिक्षा व संशोधन विभाग के संचालक तथा महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग से पूछा है. साथ ही इस पर आगामी 13 अक्तूबर तक अपना जवाब पेश करने का निर्देश भी जारी किया है.
इस संदर्भ में डॉ. राजेंद्र बरमा सहित कुछ अन्य लोगों की जनहित याचिका में अदालत के समक्ष सुनवाई हेतु विचाराधीन है. जिन पर गत रोज मुख्य न्यायमूर्ति दीपाकंर दत्ता व न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. इस समय वरिष्ठ विधिज्ञ एड. जुगलकिशोर गिल्डा ने अदालत का ध्यान पद्मश्री डॉ. रविंद्र कोल्हे के शपथपत्र की ओर दिलाया. जिसके मुताबिक आदिवासी क्षेत्रों में अ-श्रेणी के 62 फीसद, ब-श्रेणी के 74 फीसद तथा क व ड श्रेणी के 30 फीसद पद रिक्त रहने की जानकारी दी गई है. इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता बंडू साने ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, राज्य में 11 संवेदनशील आदिवासी क्षेत्र है. जहां पर आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है. उच्च न्यायालय ने इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की और उपरोक्त निर्देश दिया. साथ ही यह भी कहा कि, यदि ऐसा ही चलता रहा, तो आदिवासी महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद मुश्किल है.

* मेलघाट क्षेत्र में उपाय योजना
वहीं सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने अदालत को बताया कि, मेलघाट क्षेत्र में डॉ. छेरिंग दोरजे की रिपोर्ट तथा डॉ. आशिष सातव, एड. पूर्णिमा उपाध्याय व डॉ. अभय बंग की सिफारिशों पर पहली प्राथमिकता के साथ अमल किया जा रहा है. साथ ही इस क्षेत्र के लिए अतिरिक्त कृति प्रारूप तैयार किया गया है.

* मंजुर व रिक्त पदों की संख्या
श्रेणी मंजुर पद रिक्त पद
अ 1,786 1,112
क 31,585 9,351
ड 13,112 4,915

* नंदूरबार के जिलाधीश हुए हाजिर
हाईकोर्ट द्वारा विगत 17 अगस्त को जारी किये गये आदेशानुसार नंदूरबार के जिलाधीश ने अदालत में उपस्थित रहकर जिले में चलाई जा रही उपाययोजनाओं की जानकारी दी. जिसके तहत बताया गया कि, जिले में 3 नांवों को एम्बुलन्स तथा 1 नांव को अस्पताल के तौर पर उपयोग में लाया जा रहा है. कोविड संक्रमण व कुछ अन्य कारणों के चलते दो पुलों का काम समय पर पूरा नहीं हो पाया. जिसे वर्ष 2023 तक पूरा कर लिया जायेगा, ऐसा भी नंदूरबार के जिलाधीश द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया.

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