विदर्भ

गौण खनिज ट्रान्झिट पास हेतु निजी कंपनी नियुक्त क्यों की?

उच्चन्यायालय का सवाल : राज्य सरकार को मांगा उत्तर

नागपुर/दि.16 – राज्य के गौण खनिज उद्योजकों के लिए एक समान ट्रांझिट पासेस छापने व वितरित करने के लिए निजी कंपनी की नियुक्ति क्यों की गई? ऐसी पूछताछ मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार से की, वहीं इस पर चार सप्ताह में उत्तर प्रस्तुत क रने के निर्देश दिए.
संबंधित वादग्रस्त निर्णय के खिलाफ अकोला जिला खान व क्रशर उद्योजक संघ ने याचिका दाखल की है. जिस पर न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अनिल किलोर के समक्ष सुनवाई हुई.
14 फरवरी 2020 को राज्य सरकार की उच्चस्तरीय समिति की बैठक में राज्य में एक समान ट्रान्झिट पासेस छापने व वितरित करने के लिए निजी कंपनी की नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया था. जिसके अनुसार महसूल विभाग के सचिवों ने 12 नवंबर 2020 को पत्र जारी कर यह काम शौर्य टेक्नोसॉफ्ट कंपनी को सौंपी. वहीं इस कंपनी को प्रति ब्रास 14 रुपए सेवा शुल्क देने गौण खनिज उद्योजकों को बंधनकारक किया.
इस निर्णय पर याचिकाकर्ता का आक्षेप है. गौण खनिज उद्योजक सरकार को पहले ही रॉयल्टी, जीएसटी व अन्य विविश शुल्क अदा करते हैं. जिसमें फिर से यह नया शुल्क अदा करना पड़ रहा है. बावजूद इसके विवादग्रस्त निर्णय महाराष्ट्र गौण खनिज खनन नियमों का उल्लंघन करने वाला है. इसलिए वादग्रस्त निर्णय अवैध ठहराते हुए रद्द किया जाए, ऐसा याचिकाकर्ता का कहना है. याचिकाकर्ता की तरफ से एड. आकाश मून व एड. एम.सी. जेस्वानी ने पक्ष रखा.

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