विदर्भ

पति के आर्थिक मामलों में पत्नी सहआरोपी नहीं कर सकते

उच्च न्यायायल ने किया प्रकरण रद्द

नागपुर/दि.31– अमरावती के एक व्यक्ति द्वारा नागरिकों से जालसाजी कर उन्हे ठगा था. इस प्रकरण में पुलिस ने पति को मुख्य आरोपी किया. लेकिन इन पैसों की सीधी लाभार्थी पत्नी रहने का कारण बताते हुए पुलिस ने पत्नी को सहआरोपी किया और मामला दर्ज किया. मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने पत्नी पर दर्ज मामला रद्द कर पत्नी को दोषमुक्त कर दिया. न्यायमूर्ति आलोक आराध्ये और न्यायमूर्ति नितिन सांबरे की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया.
अमरावती जिले के सरमसपुरा थाना क्षेत्र में अतुल लव्हाले नामक व्यक्ति का हल्दी की खरीदी विक्री का व्यवसाय है. हल्दी की खेती को प्रोत्साहन देने के नाम पर अतुल ने कुछ किसानों को एकत्रित कर समूह तैयार किया. किसानों को अच्छा मुनाफा मिलने का प्रलोभन देकर उन्हें कुछ रकम निवेश करने कहा. लेकिन कुछ भी पैसा नहीं दिया. आरोपी अतुल द्वारा इस तरह 1 करोड 81 लाख 30 हजार रुपए की जालसाजी की. ऐसा आरोप किसानों ने किया. एक किसान ने अतुल के खिलाफ 18 अप्रैल 2018 को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की. अतुल की पत्नी गायत्री उर्फ सरला लव्हाले को भी पुलिस ने सहआरोपी किया. गायत्री पर धारा 406, 420 के तहत मामला दर्ज किया गया. गायत्री ने अग्रिम जमानत के लिए अमरावती सत्र न्यायालय में अर्जी की. गायत्री की 2 जुलाई 2018 को अर्जी मंजूर की गई. पति ने जालसाजी की है इसमें पत्नी का सीधा संबंध न रहते हुए भी पुलिस ने उस पर मामला दर्ज किया है. यह मामला दर्ज करने के लिए पत्नी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. 18 फरवरी को इस प्रकरण में दोनों पक्षों का युक्तिवा होने पर न्यायालय ने निर्णय कायम रखा था. याचिकाकर्ता पत्नी की तरफ से एड. राज वाकोडे ने तथा शासन की तरफ से एड. ए. आर. चुटके ने काम संभाला.

* लाभार्थी रहने के सबूत नहीं
मुख्य आरोपी की पत्नी गायत्री यह पुलिस पाटिल है. उसके विरोध में जालसाजी प्रकरण में सीधा संबंध रहने के कोई भी सबूत नहीं है और गवाह भी नहीं है. केवल आरोपी की पत्नी है इस कारण लाभार्थी रहने का निष्कर्ष निकालना उचित न रहने की बात न्यायालय ने कही.

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