विदर्भ

पत्नी को बढाकर गुजारा भत्ता देने से इनकार

उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी याचिका

नागपुर/ दि. 10- मासिक गुजारा भत्ता बढाकर देने के लिए पत्नी ने दायर की याचिका मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने खारिज कर दी. पति की आर्थिक आय और अन्य विभिन्न बातों को देखते हुए पत्नी पर गुजारा भत्ता बढाकर दिया नहीं जा सकता, ऐसा निर्णय में स्पष्ट किया. न्यायमूर्ति गोविंद सानप की अदालत ने यह फैसला सुनाया.
मुकदमें में शामिल पत्नी अकोला और पति अमरावती जिले का निवासी है. उनका 30 अप्रैल 2012 को विवाह हुआ था. पारिवारिक विवाद के कारण पत्नी जून 2013 को मायके रहने चली गई. उसके बाद उसने गुजारा भत्ते के लिए अकोला पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की थी. पति स्कूल में लिपिक है. उसे 10 हजार मासिक वेतन मिलता है, ऐसा दावा पत्नी ने किया था. उस अदालत में 6 दिसंबर 2014 को पत्नी को 3 हजार रूपए मासिक गुजारा भत्ता मंजूर किया. उस पर पत्नी को समाधान नहीं हुआ तब उसने उच्च न्यायालय में दौड लगाई. पति ने पत्नी को गुजारा भत्ता रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी. पत्नी उच्च शिक्षित है वह खुद नौकरी कर सकती है. इस वजह से उसे गुजारा भत्ते की जरूरत नहीं, ऐसा पति का कहना था. उच्च न्यायालय ने यह याचिका भी खारिज कर दी.
यह था आरोप
पति व उसके परिवार के सदस्य दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडित करते थे. जिसके कारण अस्पताल मेंं भरती करना पडा था. इस बीच वे लोगों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया. ऐसा आरोप पत्नी ने लगाया था. पत्नी को उच्च शिक्षित पति चाहिए था. वह विवाह से खुश नहीं थी. इस वजह से वह खुद मायके चली गई, ऐसा पति का कहना था.

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