विदर्भ

पत्नी के हत्यारोपी को हाईकोर्ट से मिली राहत

अदालत ने हत्या की बजाय सदोष मनुष्यवध का माना मामला

नागपुर/दि.2 – मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के गले पर चाकू मारने और इस घटना में पत्नी की मौत होने के मामले में विभिन्न बातों को ध्यान में रखते हुए माना कि, यह हत्या नहीं बल्कि सदोष मनुष्यवध यानी गैर इरादतन हत्या का मामला है. जिसके चलते अदालत ने आरोपी की उम्र कैद की सजा को घटाते हुए उसे आठ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई.
मामले में मिली जानकारी के मुताबिक यवतमाल जिले के महागांव निवासी पवन राठोड (27) का 2 मई 2014 को अपनी पत्नी माया राठोड के साथ किसी बात को लेकर झगडा हुआ था और पवन ने गुस्से में आकर माया के गले पर चाकू मार दिया था. जिसमें माया की मौत हो गई थी. पश्चात पवन में आत्महत्या करने के इरादे से विष प्राशन कर लिया था, लेकिन उसे बचा लिया गया. पश्चात पुलिस द्वारा पवन को हत्या के मामले में गिरफ्तार करते हुए अदालत में पेश किया गया. जहां पर अदालत ने पवन को हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. इसके बाद पवन ने अपने वकील एड. राजेंद्र डागा के जरिये सत्र न्यायालय के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी. जहां पर न्या. महेश सोनक व न्या. पुष्पा गणेडीवाल की द्वि सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि, पवन का इरादा हत्या करने का नहीं था और उसने अपनी पत्नी पर गुस्से में आकर चाकू से केवल एक बार ही वार किया और उसके व्यवहार में कोई क्रूरता नहीं थी. ऐसे में अदालत ने इसे हत्या की बजाय सदोष मनुष्यवध यानी गैर इरादतन हत्या का मामला माना और उम्र कैद की सजा को घटाकर आठ वर्ष के कारावास में तब्दील कर दिया.

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