प्रतिनिधि/दि.२५ नागपुर – कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रत्यक्ष लडाई लड रहे डॉक्टर, नर्स व पुलिसवालोें के साथ ही हॉटस्पॉटवाले परिसर में रहनेवाले लोगोें की रैपीड एंटीबॉडी टेस्ट की जायेगी अथवा नहीं, इस आशय का सवाल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार, राज्य सरकार व इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से पूछा है. साथ ही दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है. इस संदर्भ में सिटीझन फोरम फॉर इक्वॅलिटी के अध्यक्ष मधुकर कुकडे ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है. जिसमें रैपीड एंटीबॉडी टेस्ट हेतु मार्गदर्शिका तैयार करने, रैपीड एंटीबॉडी टेस्ट की कीमत आम व्यक्ति की पहुंच में रखने तथा निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए ५० प्रतिशत बेड आरक्षित रखने की मांग की गई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्या. अशोक भूषण, न्या. आर. सुभाषरेड्डी व न्या. एम. आर. शाह के समक्ष सुनवाई हुई. जिसके पश्चात न्यायालय ने इस विषय को लेकर प्रतिवादियों से जवाब मांगा. रैपीड एंटीबॉडी टेस्ट का कोरोना के निदान हेतु उपयोग किया जाता है और इस टेस्ट में आरटीपीसीआर टेस्ट की तुलना में कम खर्च व समय लगता है, ऐसा याचिकाकर्ता का कहना है. कुकडे ने इससे पहले मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक याचिका दाखिल की थी. कींतु नागपुर हाईकोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली थी. जिसके चलते उन्होंने इस अपनी मांगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर, एड. ऋषी जैन व एड. रोहन मालवीय ने पैरवी की.