विदर्भ

जामखारी हनुमान मंदिर में पूरी होती है मन्नतें

100 वर्षों से श्रध्दालुओं की आस्था का केंद्र है मंदिर

आमगांव/दि.16 – लगभग 100 वर्ष पुराना जामखारी का हनुमान मंदिर आस्था एवं विश्वास का केंद्र बन गया है. यहां वर्षभर में 50 हजार से अधिक श्रध्दालु दर्शन करने आते है. हनुमान जन्मोत्सव पर यहां श्रध्दालुओं का तांता लग जाता है. मान्यता है कि, यहां आनेवाले लोगों की मन्नतें पूरी होती है.
आमगांव से 6 किमी दूर यह मंदिर स्थित है. यहां आसपास के 200 गांवों के अलावा दूर-दराज से लोग अपनी कामना पूर्ति के लिए पैदल चलकर आते है. बताया जाता है कि, 100 वर्ष पहले आमगांव के जमीनदार मार्कंडराव बहेकार ने तालाब की खुदाई करवाई थी. इस दौरान यहां से हनुमानजी की मूर्ति निकली थी. उस मूर्ति को आमगांव ले जाकर मंदिर में स्थापित करने का प्रयास किया गया था. लेकिन मूर्ति के अपनी जगह से टस से मस तक न होने से उन्होंने उसे ले जाने का इरादा त्याग दिया था.
इसके बाद मूर्ति को उसी जगह स्थापित करने का आग्रह तत्कालीन मालगुजार दयाराम विठोबा कटरे ने किया था. जिससे तालाब की दीवार पर स्थायी शेड बनाकर जब मूर्ति को स्थापित करने के लिए उठाया गया तो मूर्ति आसानी से उठ गई थी. जिससे इसे हनुमानजी की इच्छा मानकर मूर्ति को वहीं पर स्थापित कर ग्रामीणों ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी. उसी दौरान मूर्ति ने सिंदूरी चोला छोड दिया था. इस चोले का विसर्जन ननसरी की नदी में किया गया था.
82 वर्ष पूर्व 1940 में आए भयंकर तूफान से इस मंदिर का स्थायी टीन का शेड टूट गया था. उसके बाद जमीनदार दयाराम कटरे ने मंदिर का निर्माण कार्य कुछ ही दिन में पूर्ण करवाया था. जामखारी के पूर्व सरपंच श्रीराम कटरे ने बताया कि मंदिर के निर्माण कार्य में लोहे या सिमेंट कांक्रीट का उपयोग नहीं किया गया है बल्कि सफेद पत्थर, चूना, अलसी और बेल के मिश्रण से जुडाई की गई है. आज तक इस मंदिर की दीवार में दरार तक नहीं आई है. मालगुजार परिवार के लेखेश्वर कटरे एवं आमगांव के लीलाधर कलंत्री इस मंदिर की व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे है.

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