विदर्भ

सार्वजनिक काम का बिल रोककर रखना भी गैरवर्तन

हाईकोर्ट ने सरपंच की अपात्रता को रखा कायम

नागपुर /दि.29 किसी भी सार्वजनिक काम के बिल को बिना वजह रोककर रखना भी एक तरह से गैरवर्तन ही है. इस आशय का फैसला सुनाते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की न्यायमूर्ति मुकूलिका जवलकर ने राजश्री सपकाल नामक महिला सरपंच की अपात्रता को कायम रखा.
जानकारी के मुताबिक राजश्री सपकाल अकोला जिले की पातुर तहसील अंतर्गत राहेर-अडगांव गट ग्रामपंचायत की सरपंच थी. इस ग्रामपंचायत के लिए वर्ष 2017 में ठेकेदार आरिफ खान मुसा खान पठान ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजनांतर्गत रास्ते का निर्माण किया था. जिसकी एवज में ठेकेदार ने 7 लाख 50 हजार रुपए का बिल पेश किया था. पश्चात वर्ष 2021 में राज्य सरकार ने इस काम हेतु निधि जारी की. जिसके चलते ठेकेदार पठान ने 8 दिसंबर 2021 को सरपंच सपकाल व ग्रामपंचातय सचिव के समस्य आवेदन कर अपना बिल मंजूर करने की मांग की थी. परंतु पठाण के बिल को बिना वजह रोककर रखा गया था. वहीं इसके बाद पठाण ने एसीबी के पास पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई थी कि, महिला सरपंच राजश्री सपकाल के पति ने उक्त बिल को मंजूर करने हेतु 1 लाख 27 हजार 500 रुपए की रिश्वत मांगी है. जिसके आधार पर 8 जून 2022 को सरपंच राजश्री सपकाल के पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. पश्चात संभागीय आयुक्त ने जिप सीईओ के मार्फत इस मामले की जांच करवाई और जांच रिपोर्ट के आधार पर 1 अगस्त 2023 को सरपंच व सदस्य पद हेतु राजश्री सपकाल को अपात्र ठहराया गया. यह कार्रवाई ग्रामविकास मंत्री ने भी कायम रखी. जिसके चलते सपकाल ने इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने भी यह कहते हुए अपात्रता की कार्रवाई को कायम रखा कि, किसी भी सार्वजनिक काम के बिल को बिना वजह रोककर रखना गैरवर्तन ही है.

Back to top button