नागपुर/दि.25- आम लोगों को न्याय दिलवाने वाली वकील महिला का विनयभंग होने की घटना हाल ही में सामने आयी है. नागपुर की एक कनिष्ठ महिला वकील ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में प्रैक्टिस करने वाले एक 55 वर्षीय वरिष्ठ वकील के विरोध में शिकायत दर्ज की है. इस शिकायत में उसने कहा है कि आरोपी ने उसका अनेक बार पीछा किया है. कार्यालय के कक्ष में बैठने पर आरोपी लगातार एक जैसा उसकी तरफ देखते रहता है. साथ ही उसने अनेक बार गलत तरीके से स्पर्श करने का प्रयास किया है. इस कारण उसे (पीड़िता) कार्यालय में असुरक्षित महसूस होता है.
पीड़ित वकील महिला ने शिकायत में कहा है कि अनेक बार उसने इस वरिष्ठ वकील को पुलिस में शिकायत करने की चेतावनी दी. फिर भी उसने पीछा करना नहीं छोड़ा और वह किसी न किसी तरह उसे परेशान करता रहा. कार्यालय के कक्ष, डेस्क अथवा ऑफीस के कर्मचारियों की बैठने की सीट पर आकर बैठने अथवा वहां से उठकर बाहर जाने पर हर दफां वह उसे एक जैसा देखते रहता है. इस कारण पीड़िता को असुरक्षित लगने लगा. अनेक बार उसने और अन्य वरिष्ठों ने बैठने की जगह बदली. अनेक बार उसने टेबल पर अन्यों की बैग रखी ताकि वह संबंधित वरिष्ठ वकील को दिख न सके. लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. क्योंकि वह भी सीट बदलकर उसकी तरफ एक जैसा देखते रहता था. वरिष्ठ से होने वाली यह परेशानी बर्दाश्त न होने से आखिरकार इस महिला ने महाराष्ट्र और गोवा बार कौंसिल के पास, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और उच्च न्यायालय प्रशासन के पास शिकायत की. इस शिकायत में पीड़िता ने कहा है कि इस अत्याचार के कारण सर्वोच्च सुरक्षा व्यवस्था रहे अपने न्यायालय में ही उसे सुरक्षित महसूस नहीं होता. वह अपने ही कार्यालय के कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकती, क्योंकि आरोपी वहां उसे परेशान करता है और उसकी तरफ एक जैसा देखते रहता है. अलग-अलग कारणों से उसके पास आने और बोलने व गलत तरीके से स्पर्श करने का प्रयास करता है. इस कारण उसे वहां असुरक्षित लगता है. जिससे उसके काम पर विपरीत परिणाम हो रहा है.
पीड़ित शिकायतकर्ता महिला ने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. उस पर मानसिक अत्याचार होता रहने की बात भी उसने शिकायत में की है. पीड़िता ने यह भी कहा कि किसी प्रकरण में काम करते समय अथवा न्यायालय में पक्ष रखते समय शाम 4.30 बजे के बाद उसे ठहरना पड़ता है, तब वह उसका साहित्य और बैग दूसरे वकील के कक्ष में जाकर रखती है ताकि उसे अपने कक्ष में वापस न जाना पड़े और आरोपी उसे देख न पाये. क्योंकि दोपहर 3 से 4 बजे के बाद उच्च न्यायालय के बार रुम में गिनती के ही वकील रहते हैं. आरोपी मात्र ऐसे समय काफी समय तक ठहरता है.