विदर्भ

यश बोरकर के हत्यारे को फांसी की बजाय उम्र कैद

उच्च न्यायालय का फैसला

* ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला मानने से किया इन्कार
* दो लाख रूपयों के लिए हुआ था यश बोरकर का अपहरण
* अपहरण के बाद आरोपी संतोष कालवे ने कर दी थी यश की निर्मम हत्या
नागपुर/दि.28- दो लाख रूपयों की फिरौती वसुल करने के लिए साहिल उर्फ यश नितीन बोरकर नामक 11 वर्षीय बच्चे का अपहरण करते हुए उसकी निर्ममता पूर्वक हत्या करनेवाले संतोष रामदास कालवे को इस मामले में दोषी पाते हुए नागपुर की जिला व सत्र न्यायालय ने मृत्यु दंड यानी फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे लेकर बचाव पक्ष की ओर से की गई अपील पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने गत रोज जिला अदालत के फैसले को पलट दिया. साथ ही फांसी की सजा को रद्द करते हुए आरोपी संतोष कालवे को उम्र कैद की सजा सुनाई. अपने फैसला सुनाते समय विभिन्न कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने इस अपराध को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की श्रेणी में रखने से भी इन्कार कर दिया.
न्या. सुनील शुक्रे व न्या. गोविंद सानप की खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते समय कहा कि, जिस समय संतोष कालवे के हाथों यह अपराध घटित हुआ, तब उसकी आयु केवल 19 वर्ष थी और यह उसका पहला अपराध है. इससे पहले संतोष कालवे का कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा. बल्कि वह काफी होशियार छात्र रहा और कारागार में रहने के दौरान भी वह अपनी पढाई पूरी कर रहा है. ऐसे में यदि उसे सुधरने का अवसर दिया जाता है, तो उसमें सुधार की काफी गूंजाईश है, क्योंकि वह कोई पेशेवर अपराधी नहीं है. हाईकोर्ट के मुताबिक सत्र न्यायालय ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाते समय इन सभी बातों पर योग्य पध्दति से विचार नहीं किया. फांसी की सजा केवल ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ यानी दुर्लभतम से भी दुर्लभ मामलों में सुनाई जाती है और यह घटना इस मानक पर खरा नहीं उतरता.
बता दें कि, आरोपी संतोष रामदास कालवे मूलत: वाशिम जिले की मालेगांव तहसील अंतर्गत दापोली कालवे गांव का निवासी है, जो नागपुर के खापरी परिसर में किराये का कमरा लेकर रहा करता था और मेहनत-मजदूरी करते हुए अपना जीवन-यापन किया करता था, लेकिन आसपास रहनेवाले लोगों को संतोष कालवे ने खुद के पुलिस कर्मी रहने की बात बता रखी थी. संतोष कालवे शारीरिक तौर पर डिल-डौल में काफी अच्छा था और हमेशा व्यवस्थित ढंग से रहता था. जिसके चलते आस-पडौस के लोग भी उसे पुलिस कर्मी ही मानते थे. खापरी परिसर में भी नितीन बोरकर का परिवार भी रहा करता था. जिनके साथ संतोष कालवे की अच्छी-खासी जान-पहचान भी थी. 10 जून 2013 को नितीन बोरकर का 11 वर्षीय बेटा यश बोरकर अपने घर के पास अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था. इसी समय संतोष कालवे अपनी दुपहिया लेकर वहां पहुंचा और उसने यश को चिप्स व कोल्ड्रींक्स का लालच दिखाकर अपने साथ चलने कहा. चूंकि संतोष कालवे को यश बोरकर अच्छी तरह से पहचानता था. ऐसे में वह बेफिक्र होकर उसकी दुपहिया पर बैठ गया. पश्चात संतोष कालवे अपने साथ यश बोरकर को मिहान उडान पुल के नीचे ले गया और उस पर कांक्रीट के भारी पत्थर से करीब 22 बार वार करते हुए उसे मौत के घाट उतार दिया. यश को जान से मार देने के बाद संतोष कालवे ने रात 9.30 से 9.45 बजे के बीच यश के पिता को चार बार मोबाईल कॉल करते हुए बेटा सही-सलामत वापिस पाने हेतु 2 लाख रूपये देने की मांग की और चारों ही बार अपना नाम जावेद खान बताया. ऐसे में बुरी तरह घबराये यश के पिता नितीन बोरकर तुरंत ही सोनेगांव पुलिस थाने पहुंचे और उन्होंने अपने बेटे के अपहरण की शिकायत दर्ज करायी. पुलिस द्वाराा की गई जांच-पडताल में पता चला कि, दो बच्चों ने यश को घटनावाले दिन आखरी बार संतोष कालवे की दुपहिया पर बैठकर जाते हुए और संतोष कालवे के घर पर खेलते हुए देखा था. जिसके आधार पर पुलिस ने तुरंत ही संतोष कालवे को गिरफ्तार किया. जिसने पुलिस द्वारा की गई पूूछताछ में अपना अपराध कबूल कर लिया. संतोष कालवे की निशानदेही पर पुलिस ने मिहान उडानपुल के नीचे से यश के शव को बरामद किया. जहां पर संतोष कालवे ने यश की लाश को पत्थरों के नीचे दबाकर रखा था. पश्चात मामले की जांच पूरी करने के बाद सोनेगांव पुलिस ने नागपुर की जिला व सत्र न्यायालय में अपनी चार्जशीट पेश की. जहां पर दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद अदालत ने 5 मई 2018 को अपना फैसला सुनाते हुए संतोष कालवे को दोषी करार दिया. साथ ही उसे इस अपराध के लिए फांसी की सजा सुनाई. साथ ही इस सजा पर अंतिम मूहर लगाने हेतु मामला हाईकोर्ट के पास भेजा गया. जहां पर संतोष कालवे की ओर से सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी. ऐसे में हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट के फैसले को पलट दिया और फांसी की सजा को रद्द करते हुए संतोष कालवे को आजीवन कारावास में रखने की सजा सुनाई.

* 17 दिन बाद था यश का जन्मदिन
10 जून 2013 को अपहरण व हत्या की वारदात का शिकार होनेवाले यश बोरकर का ठीक 17 दिन बाद 27 जून को जन्मदिन मनाया जाना था. जिसके लिए बोरकर परिवार द्वारा अच्छी-खासी तैयारियां की जा रही थी, ताकि यश का 12 वां जन्मदिन बडी धूमधाम से मनाया जा सके. लेकिन शायद यह नियती को मान्य नहीं था, क्योंकि इससे 17 दिन पहले ही बोरकर परिवार पर दु:खों का पहाड टूट पडा. इस घटना के समय यश बोरकर कक्षा 5 वीं में पढ रहा था. यश के पिता नितीन बोरकर सलून व्यवसायी है. वहीं उसकी मां वैशाली बोरकर गृहिणी है और यश की बडी बहन फिलहाल अपनी पढाई-लिखाई कर रही है.

* उसे फांसी की ही सजा होनी चाहिए
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यश की मां वैशाली बोरकर ने कहा कि, यश हमारा एक ही बेटा था. जिसे लेकर हमने कई सपने देख रखे थे. लेकिन संतोष कालवे ने बडी क्रूरता के साथ यश की हत्या की और इस जरिये उसने एक तरह से हमारे साथ विश्वासघात भी किया, क्योंकि संतोष कालवे हमारे परिचय में था. इसी वजह से यश उस पर भरोसा करते हुए उसके साथ गया था. जान-पहचान में रहने का संतोष कालवे ने बहुत गलत फायदा उठाया. ऐसे में हाईकोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को ही कायम रखना था. हम अदालत के फैसले से असमाधानी है और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अपील करेंगे, ताकि संतोष कालवे को फांसी की सजा दी जा सके.

* अपील के लिए सरकार के समक्ष सिफारिश करेंगे
अब तक फांसी के कुल 17 मामलों में सरकार की ओर से पैरवी कर चुके वरिष्ठ विधिज्ञ एड. संजय डोईफोडे ने हत्यारे की संतोष कालवे को कडी से कडी सजा होना आवश्यक रहने की प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, आरोपी को उम्रकैद की सजा के तौर पर 30 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाये जाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने हेतु वे सरकार से सिफारिश करेंगे, ताकि आरोपी संतोष कालवे अपनी पूरी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे रहे.

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