विदर्भ

यवतमाल के बे्रन डेड युवक का नागपुर में अवयव दान

सड़क हादसे में सिर पर लगी थी गंभीर चोट

नागपुर / दि.३०- सड़क दुर्घटना में सिर पर गंभीर चोट आने से बे्रन डेड हुए २४ वर्षीय युवक के अवयव दान के लिए उसके पिता ने पहल की. इस मानवतावादी निर्णय से यवतमाल के युवक का नागपुर में अवयवदान होकर तीन लोगों को नया जीवन मिला. अब तक का यह ९४ वां अवयव दान था. इसापुर, दिग्रस, यवतमाल निवासी भरत घनश्याम पडवल यह अवयवदान करनेवाले युवक का नाम है. जोनल ट्रान्सप्लान्ट को-ऑर्डिनेशन सेंटर ने (झेडटीसीसी) उपलब्ध की जानकारी के अनुसार भरत की दिग्रस में दुर्घटना हुई थी. इस हादसे में उसके सिर पर गंभीर चोट आने से पहले उसे दिग्रस के स्थानीय अस्पताल में दाखिल किया गया. इसके बाद यवतमाल के हिराचंद मुनोत मेमोरियल क्रिटी केअर हॉस्पिटल में रेफर किया गया. लेकिन उसकी हालत चिंताजनक होने से नागपुर के एम्स में भर्ती किया गया. यहां पर उपचार शुरु रहते समय डॉ.पारस झुनके, डॉ.वसंत डांगरांड, डॉ.अनुपमा झाडे ने भरत का ब्रेन डेड होने की बात कही. एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.मनिष श्रीगिरीवार व आयसीयू कर्मचारी सोनू सिंग ने भरत के परिजनों को अवयवदान करने की सलाह दी. भरत के पिता घनश्याम, मां, चाचा और भाई ने इसके लिए सहमति दर्शायी. तथा हार्ट और लंग्ज दान के लिए इन्कार किया. दोनों किडनी व लिवर का दान किया. अवयव निकालने के लिए दाता को सरस्वति अस्पताल में ले जाया गया.
५९ वर्षीय पुरुष पर लिवर प्रत्यारोपण शल्यक्रिया
-न्यू इरा हॉस्पिटल के ५९ वर्षीय पुरुष पर लिवर प्रत्यारोपण की शल्यक्रिया की गई.जेडटीसीसी के नए सचिव व लिवर प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ.राहुल सक्सेना और उनकी टीम ने शल्यक्रिया की. एक किडनी प्रत्यारोपण सरस्वती हॉस्पिटल के एक मरीज पर किया गया.
– यह शल्यक्रिया जेडटीसीसी के अध्यक्ष व किडनी प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ.संजय कोलते के मार्गदर्शन में डॉ.आदित्य सिंग, डॉ.चारू बावनकुले, डॉ.मनिष बलवानी, डॉ.अमित पसरी व डॉ.स्वीटी पसारी ने की. दूसरी किडनी का प्रत्यारोपण किंग्सवे अस्पताल के एक मरीज पर किया गया. यह शल्यक्रिया डॉ.वासुदेव रिधोरकर, डॉ.बोकारे, डॉ.आचार्य और डॉ.सूर्यवंशी ने की.
एम्स को ट्रान्सप्लान्ट केंद्र के रूप में मंजूरी
एम्स में पिछले दो महिने में पांच ब्रेन डेड मरीजों की जानकारी दर्ज हुई है. परंतु इनमें से दो परिवार ने ही अवयवदान के लिए सहमति दर्शायी, एम्स को अब प्रत्यारोपण (ट्रान्सप्लान्ट) केंद्र के रूप अनुमति मिली है. इसलिए अवयवदान की प्रक्रिया को गति आएगी.
डॉ.मनिष श्रीगिरीवार, चिकित्सा अधीक्षक, एम्स

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