ट्रेनों से मशरुम की रिकार्ड तोड ढुलाई
हजार क्विंटल का स्टाक विविध क्षेत्रों में पहुंचा गया
प्रतिनिधि/दि.२७
नागपुर– लॉकडाउन के दौर में रेल की ओर से १ हजार ८० क्विंटल मशरुम की ढुलाई करने का रिकार्ड बनाया है. जीवन सत्व से भरपूर मशरुम की मध्य रेलवे की ओर से बडे पैमाने पर ढुलाई की गई है. मध्य रेलवे के वरिष्ठ विभागीय प्रबंधक कृष्णनाथ पाटिल के मार्गदर्शन में मुख्य पार्सल प्रबंधक बालेकर के प्रयासों से भारतीय रेल विभाग की ओर से मशरुम ढुलाई में नंबर १ स्थान प्राप्त किया है. यहां बता दे कि, बीते अप्रैल से २४ जुलाई इन तीन महिनों की अवधि में मध्य रेलवे के नागपुर विभाग ने ९ हजार २२५ बोगियों में मशरुम देश के विविध हिस्सों में पहुंचाने का काम किया है. तकरीबन १ हजार ८० क्विंटल मशरुम की ढुलाई में रेल प्रबंधन ने नंबर १ स्थान प्राप्त किया है. महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ, तेलंगणा, ओरिसा, झारखंड सहित अन्य राज्यों में बडे पैमाने पर मशरुम की ढुलाई की गई. कोरोना की पृष्ठभूमि पर देश की अर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित होने पर भी मशरुम उत्पादन लेने वालों की आर्थिक स्थिति डगमगायी नहीं. मशरुमरु को लेकर आज भी अनेक अंधविश्वास है. लेकिन उच्च श्रेणी के नागरिकों में मशरुम की डिमांड की जा रही है. मशरुम की हजारों प्रजातियां है. इनमें से २०से २५ प्रजाती मनुष्य के लिए पोषक व उपयुक्त है. मशरुम से संबंधित जो भी अंधविश्वास है वह दूर करने के लिए उचित जानकारी देना जरुरी है. यह जानकारी मशरुम का उत्पादन करने वाले सुधांशु गोयल ने दी है.
कैसी होती है मशरुम की उगाई
मशरुम तैयार करने के लिए विशिष्ट खाद की जरुरत होती है. २१ दिनों तक वह फैलाकर रखना पडता है. उसमें मायसैलियम नामक विशिष्ट घटक का मिश्रण किया जाता है. इसके बाद ३५ दिनों पश्चात मशरुम की फसल उगती है. एक खाद में २ से ३ बार फसल ली जा सकती है. कटाई करने के बाद विशिष्ट तापमान पर मशरुम रखे जाते है. केवल ४ से ५ दिन मशरुम टिक पाते है.