अमरावती रेलवे पुल का स्ट्रक्चरल ऑडिट मैनेज तो नहीं!
नागरिकों का सवाल, व्यक्त की जा रही सक्रिय प्रतिक्रियाएं

* सरकारी सिस्टीम के बजाय ऑडिट निजी एजेंसी द्वारा क्यों?
अमरावती/दि.2 -अमरावती रेलवे ब्रिज (आरओबी) का जीवनकाल समाप्त हो चुका है और स्ट्रक्चरल ऑडिट के अनुसार, यह कभी भी ढह सकता है, ऐसा बडनेरा स्थित राम मेघे इंजीनियरिंग के स्ट्रक्चरल ऑडिटर और प्रा. मिलिंद मोहोड द्वारा 23 अगस्त 2025 को यहां लोक निर्माण विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है. हालांकि, अब आरओबी को गिराने की प्रक्रिया के साथ-साथ ठंडे बस्ते की ओर एक नए ब्रिज और राजापेठ की ओर मॉडल रेलवे स्टेशन के निर्माण की फाइल को आगे बढाने के प्रस्ताव ने इस संदेह को बढा दिया है कि, ‘दाल में कुछ काला है’. तो क्या अमरावती रेलवे ब्रिज का कोई ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ मैनेज तो नहीं है? यह सवाल नागरिकों द्वारा उठाया जा रहा है. तदनुसार, सोशल मीडिया पर सक्रिय प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं. जबकि कई राजनीतिक दलों ने भी इसके लिए एक मंच पर आने की जोरदार तैयारी की है.
* स्ट्रक्चरल ऑडिट में वास्तव में क्या होता है?
रखरखाव और मरम्मत के अभाव में अमरावती का आरओबी अंदर से कमजोर हो गया है. इसे बने हुए 50 साल से भी ज्यादा हो गए हैं. एक तरफ स्लैब में बडी-बडी दरारें हैं. पुल दोनों तरफ से क्षतिग्रस्त है और अंदर से पूरी तरह खोखला हो गया है. अंदरूनी बीम घिस चुके हैं. प्लेट गार्डरों का कोई रखरखाव नहीं है. इस पुल की भार क्षमता समाप्त हो चुकी है. यह किसी भी प्रकार के यातायात को संभाल नहीं सकता.
शक तब और बढ गया जब रेलवे पुल को बंद करके उस पर दीवार खडी कर दी गई. पूर्व रेलवे साइट पर कॉम्प्लेक्स का निर्माण धीमी गति से चल रहा है. ‘आरओबी’ का एक भी पत्थर नहीं गिरा है. सांसद अनिल बोंडे डॉक्टर हैं, आर्किटेक्ट नहीं.
-प्रदीप बाजड, पूर्व पार्षद
अमरावती मॉडल रेलवे स्टेशन का निर्माण पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल में हुआ था. रेलवे पुल बनाने के बजाय, भाजपा का एजेंडा नागरिकों का ध्यान भटकाना प्रतीत होता है. रेलवे स्टेशन को आगे स्थानांतरित करने का मुद्दा उनकी पहुंच से बाहर है. सरकार वास्तव में लोगों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है.
-एड. किशोर शेलके, पूर्व महापौर
जब पुल की मरम्मत इतनी आसान बात है, तो रेलवे स्टेशन को दूसरी जगह ले जाने का मुद्दा कहां से आ गया? रेलवे स्टेशन की जगह भू-माफियाओं को देने की ‘पटकथा’ पहले से ही तैयार थी. यह एक षडयंत्र है और इसने अमरावती शहर की जनता के विश्वास को चकनाचूर कर दिया है.
-मिलिंद चिमोटे, पूर्व महापौर
अमरावती शहर के बीचों-बीच एक मॉडेल रेलवे स्टेशन है. लेकिन रेलवे पुल बनाने की बजाय स्टेशन को आगे ले जाने के प्रस्ताव में बहुत कुछ छिपा है. इस जगह पर किसी की नजर है. इसीलिए पुल की हालत खराब होने का बहाना बनाकर उसे यातायात के लिए बंद कर दिया गया. यह भाजपा की जमीन किसी व्यापारी को बेचने की साजिश है.
-अजय गोंडाने, पार्टी नेता, बसपा





