वाशिम/दि.26 – इस समय एनसीबी यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के झोनल डाईरेक्टर समीर वानखडे लगातार चर्चाओं और विवादों से घिरे हुए है. हालांकि उन्हें ड्रग्स माफिया का कर्दनकाल कहा जाता है और उनका नाम लेते ही बॉलीवुड एवं राजनीति के क्षेत्र में बडा रसूख रखनेवाले लोगों में अंजाना भय पैदा हो जाता है. इन दिनों इस बात को लेकर बडा विवाद चल रहा है कि, समीर वानखडे कौन है, कहां से वास्ता रखते है, उनका धर्म क्या है और उनके माता-पिता कौन थे. इन तमाम सवालों के जवाब सोशल मीडिया सहित अन्य कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है, लेकिन अब पता चला है कि, समीर वानखडे का परिवार मूलत: वाशिम जिले की रिसोड तहसील अंतर्गत वरूडतोफा नामक गांव से वास्ता रखता है. यह जानकारी सामने आते ही वाशिम जिले सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र में इस बात को लेकर अभिमान की लहर देखी जा रही है कि, समीर वानखडे मूलत: विदर्भ पुत्र है.
बता दें कि, बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया से लेकर तमाम न्यूज चैनल व अखबारों की सूर्खियों में समीर वानखडे का नाम झलक रहा है. समीर वानखडे को ड्रग्ज संबंधी मामलों की जांच का विशेषज्ञ माना जाता है और विगत दो वर्षों के दौरान समीर वानखडे के नेतृत्व में 17 हजार करोड के ड्रग्ज रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. वहीं समीर वानखडे हाल ही में डिआरआय से एनसीबी में तबादला होकर आये है और उन्होंने सुशांतसिंह राजपूत की आत्महत्या के मामले से लेकर शाहरूख खान के बेटे अरयान खान को ड्रग्ज मामले में गिरफ्तार करने तक की कई कार्रवाईयां की है. वहीं क्रू्रझ ड्रग्ज मामले में शाहरूख खान के बेटे अरयान खान को गिरफ्तार किये जाने के बाद राकांपा नेता व कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखडे को टार्गेट करना शुरू कर दिया तथा वानखडे के परिजनों और पारिवारिक जीवन को लेकर आलोचना करनी शुरू की. जिसमें समीर वानखडे की धार्मिक पहचान और उनके पिता के नाम को लेकर भी सवाल उठाये गये.
इन्हीं तमाम सवालों का जवाब ढूंढते हुए पता चला कि, समीर वानखडे के पिता ज्ञानदेव वानखडे वरूडतोफा गांव के निवासी है. जिनकी प्राथमिक शिक्षा वाशिम जिले में ही हुई थी. पश्चात वे पुलिस विभाग में अधिकारी नियुक्त होने के बाद नौकरी करने हेतु मुंबई गये और वहीं पर बस गये. जहां पर उन्होंने एक मुस्लिम महिला से विवाह किया था और इसी विवाह से समीर वानखडे की पैदाईश हुई थी. वहीं समीर वानखडे के बडे पिताजी यानी ज्ञानदेव वानखडे के बडे भाई इस समय दत्तनगर लाखाडा में रहते है. वे भी मुंबई में बतौर अधिकारी पदस्थ थे और सेवानिवृत्ति के पश्चात वाशिम आकर बस गये. करीब डेढ वर्ष पूर्व समीर वानखडे के दत्तनगर में रहनेवाले चचेरेभाई संजय वानखडे एक सडक हादसे का शिकार हुए थे. जिन्हें इलाज हेतु औरंगाबाद में भरती कराया गया था. उस समय समीर वानखडे अपने चचेरे भाई से मुलाकात हेतु औरंगाबाद आये थे.
पैतृक निवास में रहते है चाचा-चाची
वाशिम जिले की रिसोड तहसील अंतर्गत वरूडतोफा गांव में आज भी समीर वानखडे का पैतृक घर व पुश्तैनी खेती-बाडी है. जहां पर उनके चाचा-चाची का परिवार रहता है. यह गांव वाशिम-रिसोड मार्ग पर स्थित आसेगांव से पांच किमी की दूरी पर स्थित है और गांववासियों के पास समीर वानखडे व उनके परिवार से संबंधित विभिन्न यादें व जानकारियां है. जिनसे समीर वानखडे को लेकर उठाये जा रहे तमाम तरह के सवालों के जवाब मिल सकते है.