अंबानबरी में 215 वर्षो से निकली जलविहार व शोभायात्रा

संतोष गुप्ता ने दी जानकारी

अमरावती /दि.2 – शहर में विगत 215 वर्षो से ‘जलविहार उत्सव व शोभायात्रा’ आज भी (अविरल) चलते आ रही है. जो अमरावती की संस्कृती व धार्मिक नगरी की गरीमा में चार चांद लगाती है.
‘ एक इतिहास’
पूर्व में अमरावती शहर परकोट के अंदर ही विस्थापित था तथा परकोट के भीतर ही रहवासी क्षेत्र व व्यपारीक क्षेत्र निहित थे. इसी क्षेत्र में श्री छतपुरी बालाजी मंदिर है. जो 215 वर्ष पुरान दर्शनिय भी है. इसी मंदिर से प्रमुख पारंपरिक ‘जलविहार ’ शोभायात्रा निकलती थी जो परकोट के अंदर के प्रमुख मार्गो से अंबानदी ‘जलविहार रस्म’ अदायगी हेतू (मध्यरात्री 12 बजे) पहुंची थी.
‘एक पारंपरिक प्रथा’
पूर्व में शोभायात्रा में संम्मिलिन होने भंजन मंडल, लोकनर्तक , बहुरूपीया व झांकी बनानेवाले कलाकारो कोे पान, अक्षत, श्रीफल (सन्मायुक्त) देकर आंमत्रित किया जाता था. जो एक सगुण प्रथा थी. ( वे पारिश्रमिक नही लेते थे.) तथा उत्साहपूर्ण सम्मिलित होते थे. और बिदाई में प्रसाद, श्रीफल दिया जाता था. जो वे सहर्ष स्विकार करते थे और अपना सौभाग्य समझते थे. (भगवान की यात्रा में संम्मिलित होने का)
‘अमरावती में दो भव्य जलविहार शोभायात्रा’
पूर्व में परकोट के अंदर से केवल श्री छतपुरी बालाजी मंदिर की शोभायात्रा निकलती थी. जैसे -जैसे परकोट के बाहर बस्ती बढना शूरू हुई बुंदेलखंड के छतरपुर, टिकमगढ, सागर से लोग बाग व्यापार की दृष्टि से व रोजगार की दृष्टि से अमरावती आए. (उस समय अमरावती कपास की सुप्रसिद्ध मंडी थी) तथा यहां रोजगार व व्यापार के सुगम साधन उपलब्ध थे. यहां बुंदेली समाज के तेली लोगेा का आगमन हुआ. अंबादेवी की अनुकम्पा ये यहां आर्थिक दृष्टि से संपन्न होने लगे तथा तेली समाज के बंधुओ ने यहां (इतवारा बाजार क्षेत्र में) मंदीर का निर्माण किया. (बुंंदेली पारंपरिक उत्सव मनाने लगे) जिसमें जलविहार प्रमुख था. उन्होंने भी जलविहार शोभायात्रा, पूर्ण तामझाम के साथ निकालना शुरू की और आज शहर में दो जलविहार शोभायात्रा निकलने लगी.
‘धार्मिक एवं सांस्कृतिक नागरी’ की गरिमा बढानेवाली जलविहा र शोभायात्रा में सामयिक परिवर्तन के साथ नए नए आयाम जुडते गए. धार्मिक, राष्ट्रीय एवं सामाजिक झांकियो का समावेश बढते गया. साथ ही ढोल पथ, लेझिम विभिन्न लोकनर्तक, भांगडा, गरबा आदिवासी नृत्यो के साथ उज्जैना के शिवभक्तो द्वारा डमरू लोक नृत्य, डिजिटल साउंड सामुहिक नृत्य चलते.
‘जगह जगह शोभायात्रा का स्वागत’
शोभायात्रा के भ्रमण मार्गो पर स्वागत गेट, रोशनाई व आतिषबाजी के साथ फटाको द्वारा स्वागत हर चौको पर सामाजिक संगठनों द्वारा, चाय, जलपान, शरबत के साथ, मिठा भात, मसाला भात, बिस्किट, आलुपोंहा, मसाले चने की व्यवस्था की जाती रही है.
‘सरोज चौक पर सुंदरझांकी व प्रसाद’
जयस्वाल परिवार द्वारा सरोज चौक पर धार्मिक झांकी बनाई जाती है. मनोरंजनार्थ डिजिटल साउंड व मंच पर नवयुक्त धिरकते हे तथा बडे रूप में बुंदी एवं पकोडी वितरित करते है. इस समय शहर में विशेष चहल पहल रहती है. शोभायात्रा के दर्शनार्थ मार्ग के दोनो ओर भाविक भक्त उमड पडते है.

 

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