पैक हाउस देख हम दोनों रोमांचित, धन्य है देवी ने बुलाया
शास्त्रीय गायिका रंजनी और गायत्री का कहना

* अंबादेवी संगीत समारोह में बेजोड प्रस्तुति
* ‘आओ सजाओ मंदिर आज…’ ने किया सभी को प्रभावित
अमरावती /दि.24 – चेन्नई से 1500 किमी का सफर कर अमरावती अंबानगरी पहुंची क्लासिकल गायिका रंजनी और गायत्री बहनों ने यहां के कला प्रेमी और संगीत की महीन समझ रखनेवाले प्रशंसकों को देख दांतों तले उंगली दबा ली थी. यह बात दोनों बहनों ने गत रात ‘अमरावती मंडल’ से संक्षिप्त किंतु सार्थक संवाद दौरान कही. उन्होंने बहुत ही स्पष्ट कहा कि, महाराष्ट्र के विदर्भ के छोटे शहर अमरावती का नाम सुना था. अंबादेवी संस्थान की ओर से परफार्मन्स के लिए आमंत्रण मिलने पर भी आना था, किंतु सच कहूं तो बहुत उत्साह न था. हमारी आशंका यहां काफूर हो गई. जैसे ही हम वाहन से उतरे और देखा कि, हाउस पैक है. बच्चें और युवा शास्त्रीय संगीत सुनने इतने आतुर है कि, जमीन पर बिछाए सतरंजी पर बैठे हैं. जैसे ही हमने एक के बाद एक प्रस्तुति प्रारंभ की. दर्शक दीर्घा से मिलते प्रतिसाद में हमें प्रफुल्लित या कह लीजिए, रोमांचित कर दिया.
‘अमरावती मंडल’ से बातचीत में अपनी उपलब्धियों और विविध राज्यों, नगरों, देशों में प्रस्तुतियों से अधिक यहां की कला पारखियों की चर्चा ही रंजनी और गायत्री ने की. उन्होंने बार-बार कहा कि, उन्हें अमरावती में इस प्रकार के रिस्पॉन्स की उम्मीद कम ही थी. किंतु जैसे-जैसे अपनी दो घंटे की प्रस्तुति में वे वाद्य कलाकारों के साथ आगे बढी, उन्होंने बारीकी से देखा कि, यहां का अंबादेवी कीर्तन सभागार में मौजूद प्रत्येक छोटा और बडा क्लासिकल संगीत की महीन समझ रखता है. यह देख और अनुभव कर बडा आनंद आने की बात दोनों बहनों रंजनी व गायत्री ने कही. उन्होंने कहा कि, अंबादेवी ने उन्हें यहां आमंत्रित किया, यहां संगीत सेवा का अवसर मिला. इसके लिए वे स्वयं को भाग्यशाली मानती है. आइंदा भी कभी अमरावती से निमंत्रण आया, तो सहर्ष स्वीकार करेगी.
* अनेक पुरस्कारों से अलंकृत
रंजनी और गायत्री चेन्नई के वायोलिन वादक पिता एन. बालसुब्रमण्यम और मां मीनाक्षी बालसुब्रमण्यम से आरंभिक दीक्षा प्राप्त कर लडकपन से ही प्रस्तुतियां देती आई है. उन्हें कालांतर में न केवल कर्नाटकी संगीत क्षेत्र में पहचाने और जानने लगे, बल्कि अनेक संस्थाओं और शासन ने पुरस्कारों से भी नवाजा. उन्हें शक्ति मुरलीधरन पुरस्कार प्राप्त है. उसी प्रकार वे देश-विदेश में युगल प्रस्तुति दे चुकी हैं. पुणे और पंढरपुर में उनके मुखारविंद से संत तुकाराम के अभंग सुनने के लिए प्रसिद्ध गायक सुरेश वाडकर ने ससम्मान आमंत्रित किया था. रंजनी ने बताया कि, वह महफिल या कह लीजिए भक्ति संध्या उन्हें चिरस्मरणीय रहेगी. इस मात्रा में उपस्थित हजारों की भीड ने उन्हें प्रतिसाद दिया. वहां के स्थानीय कलाकारों का कोरस पर साथ भी गजब का रहा.
* वायलिन बजाते अचानक गायन का आदेश
दोनों ही बहनों रंजनी तथा गायत्री ने बताया कि, 22 बरस पहले की बात है. वे एक समारोह में वायलिन वादन के लिए पहुंची थी. वहां अन्य गायकों की प्रस्तुति थी. समय पर बडी प्रतीक्षा के बावजूद एक कलाकार उपस्थित न हो सके. आयोजक दोनों बहनों को भलीभांती जानते थे. अत: तुरंत दोनों को वायलिन साइड में रखकर स्टेज पर गायकी के लिए आमंत्रित कर दिया. दोनों बहनें बताती हैं कि, कोई तैयारी न थी. किंतु अपने गुरु और माता-पिता को मन ही मन स्मरण कर वे मंच पर चढी. गायन की प्रस्तुति दी. मन में समाया डर थोडी ही देर में दूर हो गया, जब दर्शकों से सुंदर प्रतिसाद मिला. इसके पश्चात एक के बाद एक कार्यक्रम क्लासिकल गायकी के करते चले गए. बेशक देश-विदेश में गाया है, सम्मान भी प्राप्त किए हैं. किंतु अंबादेवी संगीत सेवा समारोह में गायन सेवा देकर धन्य होने की बात दोनों ही बहनों ने सहर्ष व सगर्व कही. उन्होंने कहा कि, यहां का आयोजन भी उन्हें पुरस्कृत होने वाली प्रसन्नता और संतोष दे गया है.
* बच्चों का प्रतिसाद नहीं भुलेगा
रंजनी और गायत्री अंतर्राष्ट्रीय ख्याती की क्लासिकल गायिका होने पर भी उन्होंने स्थानीय बच्चों द्वारा फोटोग्रॉफ और ऑटोग्रॉफ का अनुरोध सहर्ष स्वीकार किया. मजे से सभी के साथ सेल्फी ली, हस्ताक्षर दिए. अपनी अकादमी की प्रबंधक माधवी के नंबर शेयर कर किसी भी बात या गाइडन्स के लिए संपर्क करने की ऑफर देकर उपस्थितों को जीत लिया. रंजनी और गायत्री ने ‘अमरावती मंडल’ से संवाद में कहा कि, यहां के बच्चों का संगीत के प्रति आदर और अनुराग देख वें अभिभूत है. उन्होंने सोचा ही नहीं था कि, अमरावती में भी इस प्रकार का उत्साह शास्त्रीय संगीत को लेकर हो सकता है.
* प्राप्त अलंकरणों की संख्या असीमित
पिछले 33 वर्षों से निरंतर प्रस्तुति दे रही क्लासिकल गायिका बहनें रंजनी और गायत्री ने अनेकानेक सम्मान, पुरस्कार प्राप्त किए है. उन्हें वाणी कला सुधाकर अवॉर्ड प्राप्त है. संगीत कला शिरोमणि, भारतीय विद्या भवन का जीवनगौरव, संस्कृति फाउंडेशन दिल्ली का संस्कृति पुरस्कार, कार्तिक फाइन आर्टस् का इसई पेरोली पुरस्कार, कल्की कृष्णमूर्ति स्मारक अवॉर्ड, योगम नागस्वामी अवॉर्ड, वायलिन में ऑल इंडिया रेडिओ की प्रथम पुरस्कार जीतनेवाली दोनों बहनों को अल्पायु में प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति भी मिली है. तमिल, संस्कृत, मराठी, हिंदी, कन्नड, तेलगू, मलियालम और गुजराती भाषाओं में प्रस्तुति देनेवाली देश की बिरली गायिकाएं ह





