‘निकल पडे हैं खुली सडक पर अपना सीना ताने’

16 बरस का सृजल कोहले का विश्व कीर्तिमान की ओर प्रवास प्रारंभ

* अमरावती के छात्र को साइकिलिंग असो. ने दी शुभकामनाएं
* कन्याकुमारी से श्रीनगर 3652 किमी की लंबी यात्रा                                                                                                          अमरावती/ दि. 6- केवल 9-10 माह पहले साइकिलिंग का उत्साह पानेवाले विदर्भ महाविद्यालय के 16 बरस के छात्र सृजल प्रवीण कोहले ने आज बडे सबेरे 6 बजे कन्याकुमारी से श्रीनगर अर्थात कश्मीर की साइकिल यात्रा प्रारंभ की. सृजल का लक्ष्य 3652 किमी अकेले साइकिलिंग कर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित करना है. उसे दो रोज पहले अमरावती के प्रसिध्द अस्थि रोग विशेषज्ञ और साइकिलिंग असो. के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कुलकर्णी, पदाधिकारी अतुल कलमकर और अन्य ने फूलमालाएं पहनाकर साहसी साइकिल यात्रा पर बिदा किया, शुभकामनाएं दी. इस समय डॉ. कुलकर्णी और कलमकर दोनों ही अपने अन्य सहयोगियों के संग बडे हर्षित दिखाई दिए. उन्होंने कहा कि सृजल कोहले का सफर रिकार्ड समय में पूरा होता है तो यह समस्त अमरावती के लिए अभिमान की बात होगी.
अमरावती मंडल से की बात
सृजल कोहले ने कन्याकुमारी से प्रारंभ कर नैशनल हाइवे क्रमांक 52 पर तामिलनाडू के कायभाड नगर के निकट पहुंंचने पर अमरावती मंडल से फोन पर बात की. युवा साइकिल पटु बडा आत्मविश्वास से लबालब नजर आया. सृजल ने बताया कि केवल 9-10 माह पहले उसके ध्यान में इस प्रकार की साइकिलिंग मुहिम का विचार आया. उसने घर में माता-पिता प्रवीण और करूणा कोहले तथा बडे भाई पार्थ कोहले को बताया. सभी ने पहली प्रतिक्रिया में ही हामी भर दी और इसकी तैयारी के लिए सपोर्ट करना शुरू कर दिया.
गोपीकिसन केसवान हैं प्रशिक्षक
सृजल कोहले ने बताया कि चेन्नई में रहनेवाले गोपीकिसन केसवान उसके साइकिलिंग के मार्गदर्शक और प्रशिक्षक है. उन्हीं के टीप्स पर वह लंबी दूरी की साइकिलिंग का अभ्यास गत कुछ माह से करता आया है. सभी ओर से मिले प्रोत्साहन के कारण उसने कन्याकुमारी- कश्मीर मुहिम को अपनाया. आज उसे साकार करने जा रहे हैं. निश्चित ही वह और उसके सभी साथी लोकेश जावने, आशीष बोरकर, सचिन काले, आकाश धोटे हर्षित और उत्साहित है. साहसी मिशन में उनके पिता प्रवीण कोहले भी चल रहे हैं. जिससे सृजल का उल्लास और आत्मविश्वास बढा है. सृजल को अपने मिशन की कठिन परिस्थितियों का संपूर्ण अहसास है. सृजल ने बताया कि कक्षा 12 वीं का साइंस का विद्यार्थी होने के साथ वह पढाई पर भी ध्यान दे रहा है. साथ ही फिलहाल लक्ष्य श्रीनगर का है. लगातार साइकिलिंग करते हुए उसे रास्ते में आनेवाली मौसम और अन्य प्रकार की कठिनाइयों से भी जूझना है.
विपरीत मार्ग, चुनौती अधिक
सृजल कोहले ने बताया कि लोग कश्मीर से कन्याकुमारी जाते हैं. उसने कन्याकुमारी से श्रीनगर का विपरीत मार्ग चुना है. जिससे उसकी चुनौती कडी रहनेवाली है. सृजल कान्फीडेंट हैं. इस बातचीत दौरान वह अपनी यात्रा को पहले पडाव पर पहुंच गया था. जहां सतत 110 किमी साइकिलिंग उन्होंने पूर्ण कर ली थी.

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