ऐसी कौन सी ऐतिहासिक धरोहर है नेहरू मैदान में ?
10 वर्षो से शाला है बंद, मैदान घुमंतुओं के कब्जे में

* किसी ने पार्किंग, तो किसी ने बना रखा है प्रसाधन का स्थान
* कलेक्टर का सफाई आदेश अब तक हवा हवाई
अमरावती/ दि. 16- उच्च सदन अर्थात विधान परिषद के सदस्य और राकांपा अजीत पवार गट के संगठन महासचिव संजय खोडके द्बारा नेहरू मैदान की जगह पर महापालिका का नया कार्यालय बनाने की घोषणा के बाद शहर में बिल्कुल सामने आ धमके महापालिका चुनाव के कारण कोहराम मचा है. ऐसे में नाना प्रकार के प्रश्न सुविज्ञ नागरिकों के मन में घुमड रहे हैं. उसमें सबसे बडा प्रश्न यह है कि नेहरू मैदान में ऐसी कौन सी धरोहर है जिसे जतन करने की बातें हो रही है. आज की दशा में वहां घुमंतुओं का कब्जा हो रखा है. वहां का कस्तूरबा उद्यान महज मनपा की नर्सरी बना हुआ है. शहीद स्मारक की हालत खराब है. वहां कर्मचारी अपने वाहन सुरक्षित खडा करने में अपना अधिकार समझ रहे हैं. जिससे फिर सवाल उठ रहे हैं कि शहर के बीचोबीच रहने मात्र से मैदान की इस प्रकार दुर्दशा होते देखते रहना * प्रेस कान्फरंस का खेल
नेहरू मैदान को संजोने या न संजोने की चर्चा के बीच बीजेपी और कांग्रेस में जुुबानी जंग छिड गई थी. वह रूकने का नाम नहीं ले रही. बल्कि जानकारों का अंदाज है कि मनपा चुनाव तक यह जुगाली चलती रहेगी. विधायक संजय खोडके ने मनपा का कार्यालय और शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाने की घोषणा से नेहरू मैदान को चर्चा के केन्द्र में ला दिया. उसके बाद पहले बीजेपी ने पत्रकार परिषद ली. कांग्रेस भी पत्रकार परिषद लेकर इस विषय में कूदी. जिसका प्रेस कान्फरंस-प्रेस कान्फरंस खेलने के अंदाज में बीजेपी ने फिर पत्रकार परिषद लेकर कथित सवाल जवाब किए. आज फिर कांग्रेस पत्रक निकाल रही है.
* कचरे पर आकर अटकी जंग
जुबानी जंग का मामला कहां तक जायेगा, यह समय बतायेगा. संजय खोडके ने मीटिंग के अंदर घोषणा की थी. उनके द्बारा मजबूती के साथ की गई घोषणा का क्या कारण रहा होगा. पालकमंत्री की उनसे क्या बात हुई होगी. पालकमंत्री और खोडके के बीच क्या चर्चा हुई थी. यह आनेवाला समय बतायेगा. किंतु बीजेपी और कांग्रेस नेहरू मैदान के विषय को खींच खींच कर सफाई ठेके तक ले आए. अब यह विषय कचरे पर आकर अटक गया है. दोनों ही एक दूसरे पर हमेशा की तरह तोहमतेें लगा रहे हैं. यह सिलसिला चुनाव तक भी चल सकता है.
* कलेक्टर का फर्मान अनसुना
इस बीच नेहरू मैदान का हाल देखा तो अचरज हुआ. कलेक्टर द्बारा इसकी 48 घंटे के अंदर सफाई करने के आदेश जारी करने को 40 घंटे बीतने के बाद भी वहां कोई हलचल नहीं दिखाई दी. लगता है जिलाधीश आशीष येरेकर का फर्मान महापालिका ने अनसुना कर दिया है. परसों धनतेरस का त्यौहार है. जिसके साथ 5 दिनों का प्रकाश पर्व शुरू होनेवाला है.
* घुमंतुओं का कब्जा
इस समय नेहरु मैदान पर घुमंतुओं ने कब्जा कर रखा है. वहीं भोजन या खाने का कुछ बनाते हुए गंदगी फैलाने के साथ शहर भर से बीने हुए कचरे, कबाड के गठ्ठे भी उन्होंने ला रखे हैं. इसके बावजूद बगल में ही मनपा के प्रभारी उद्यान अधीक्षक अजय विंचुरकर और उनके सहयोगी श्रीकांत गिरी काम करते नजर आए.
* कस्तूरबा उद्यान की दुर्दशा
नेहरू मैदान के रेलवे ओवरब्रिज से सटे हिस्से में करीब 50 वर्षो से कस्तूरबा उद्यान बना हुआ है. आज यह दुर्दशा का शिकार है. करीब 16 हजार वर्गफीट में फैले उद्यान में 1911 में निर्मित फाउंटेन की दशा आपको हैरान कर सकती है. उस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है. उद्यान में शंकर जी का मंदिर है. जहां नित्य भक्त आने का दावा किया जाता है. अभी तो उद्यान की दशा ऐसी है कि आप मानो पहाड पर चढकर अंदर जा रहे हैं. वहां महापालिका की नर्सरी बना दी गई है. सैकडों की संख्या में जाम, पीपल, गुलमोहर, बरगद, इमली, अंग्रेजी इमली, अर्जुन और कई तरह के पौधे उपलब्ध है. श्रीकांत गिरी ने बताया कि यह पौधे नागरिकों को दिए जाते हैं.
* शहीद स्मारक बना पार्किंग
सन 1942 में अमरावती में भी भारत छोडो आंदोलन हुआ था. उसका स्मारक यहां बना हुआ है. स्मारक का उपयोग महापालिका के कर्मचारी अपने वाहन सुरक्षित रखने के लिए कर रहे हैं. दर्जनभर वाहन स्मारक से बिल्कुल सटे हुए पार्क किए गये. जिससे स्पष्ट हुआ कि मनपा कर्मचारी यहां बेखौफ अपने वाहन खडे कर थोडी ही दूरी पर स्थित महापालिका कार्यालय चले जाते होंगे.
* स्मारक के पास दिनदहाडे दारू पार्टी
नेहरू मैदान उपेक्षा के कारण शराबियों का अड्डा बन गया है. वही उसे कुछ प्रमाण में अतिक्रमणकारियों ने भी घेर रखा है. दर्जनभर दुकानें नेहरू मैदान से सटकर और राजकमल आरओबी के बिल्कुल पास बनी है. शहीद स्मारक के पीछे दिनदहाडे दारू पार्टियां चलती देखी जा सकती है. वहां कोई रोक-टोक करनेवाला नहीं है. उद्यान के सुरक्षा कर्मचारी कथित रूप से अपने ही काम में व्यस्त रहते हैं. शराब पार्टी के पास ही कोई आकर पेशाब कर जाता है. कोई टोकनेवाला नहीं, मनमाने अंदाज में लोग वाहन खडे कर देते हैं.
* पीएम आवास योजना का मॉडल
कस्तूरबा उद्यान के मुहाने पर पीएम आवास योजना का मॉडल बनाया गया है. वह अधिक समय बंद ही पडा रहता है. उसके ठीक बगल में मनपा क्रीडा विभाग कार्यालय का बोर्ड लगा है. कार्यालय वहां से अंबापेठ में शिक्षा विभाग के पास शिफ्ट हो गया है. अब उसकी इमारत उद्यान विभाग को दी गई है. जिन्होने अपना साजो सामान, मशीने वहां रख छोडी है.
* टाउन हॉल कोरोना से बंद
डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ की मांग को लेकर शहीद हुए 13 शहीदों के सम्मान में टाउन हॉल बनाया गया था. लगभग 500 लोगों की आसन व्यवस्था वाले टाउन हॉल को कोरोना महामारी में मार्च 2020 से बंद कर रखा गया है. जबकि टाउन हाल की अवस्था ठीक-ठाक होेने के साथ यहां छोटे बडे सांस्कृतिक कार्यक्रम मजे से होते आए हैं. टाउन हॉल के इर्द-गिर्द भी दुकानों का अतिक्रमण हो रखा है. जबकि इसकी डेवलपमेंट योजना कई बार बनी और धरी रह गई.
* जयस्तंभ की ओर का प्रवेशद्बार बना मूत्रीघर
नेहरू मैदान का एक रास्ता जयस्तंभ चौक की तरफ से हैं. वहां मनपा ने वर्षो पहले सुलभ शौचालय बनाकर दिए. उसके बावजूद इस प्रवेश मार्ग को लोगों ने महापालिका की उपेक्षा की वजह से मूत्रीघर बना रखा है. मार्केट में आए लोग यहां बेशर्मी से पेशाब करते खडे नजर आते हैं. राजकमल चौक की ओर से जो रास्ता है, वहां नाली का काम चल रहा है.
* 4 शालाएं 7 वर्षो से शिफ्ट
लाल डिब्बा स्कूल के नाम से कुछ वर्षो तक मशहूर रही नेहरू मैदान की गोखले स्मारक की शाला पिछले 7 वर्षो से अन्यत्र मनपा शालााओं में समाहित कर दी गई है. 7 साल पहले 2018 में यहां स्मारक के उपरी हिस्से में बने लकडी के निर्माण में आग लग गई थी. जिसके बाद अंतिम शाला भी शिफ्ट कर दी गई. मनपा के शिक्षाधिकारी प्रकाश मेश्राम ने बताया कि यहां हिन्दी बॉयज स्कूल, हिन्दी गर्ल्स स्कूल और ऐसी ही लडको-लडकियोें लिए अलग-अलग मराठी की दो शालाएं 1958 से 2018 तक संचालित रही. अग्निकांड के बाद लडकों की माध्यमिक शाला वडरपुरा, लडकियों की माध्यमिक शाला बुधवारा, हिन्दी बॉयज स्कूल तालाबपुरा और लडकियों की हिन्दी शाला नागपुरी गेट स्थित महापालिका शालाओं में समाहित की गई. आज भी चारों शालाएं संचालित होने और करीब 400 छात्र-छात्राएं उनमे दाखिल होने की जानकारी उन्होंने दी.
* गोखले परिवार ने दिया स्मारक और जगह
नेहरू मैदान की कई एकड जगह और वहां बना भव्य नानासाहब गोखले स्मारक भवन गोखले परिवार ने 1928 में तत्कालीन नगर परिषद को शाला के लिए दिया था. पूर्व महापौर विलास इंगोले ने बताया कि कोई 15 वर्ष पहले गोखले परिवार के वंशज ने करीब 97 वर्ष पहले हुए अनुबंध और पत्र मनपा के शिक्षा महकमे को सौंपा था. इस पत्र में यह भी उल्लेख है कि शिक्षा विभाग के इतर उक्त जगह के उपयोग किए जाने पर उसे गोखले परिवार को लौटा दिया जाये. स्मारक का उपयोग महापालिका के चुनाव कार्यालय के रूप में भी हुआ है. यहां नामांकन प्रक्रिया कई चुनावों में की गई. नेहरू मैदान ऐतिहासिक कहा जाता है. वहां पंडित नेहरू से लेकर देश के अग्रणी कर्णधारों की जनसभाएं हो चुकी है. सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कभी नेहरू मैदान पर रेलचेल रहती थी.





