यह कैसा न्याय? फिर ‘वह’ 186 लोग कैसे मारे गए?
मुंबई 7/11 बम कांड के पीडित अजय शर्मा के सवाल

* अमरावती के गोकुलचंद शर्मा मारे गए थे विस्फोटों में
अमरावती/दि.22-बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुंबई के 19 वर्ष पहले के 7/11 लोकल ट्रेन बम धमाकों में सत्र न्यायालय का फैसला पूरा पलटते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी करने का निर्णय सुनाया. आरोपियों को सोमवार शाम ही अमरावती तथा नागपुर सहित विभिन्न जेलों से हाथोंहाथ रिहा भी कर दिया गया. यह सभी आरोपी कह रहे हैं कि, उन्हें देश की न्याय व्यवस्था और शासन प्रणाली पर भरोसा था. वहीं बम धमाकों में कालकल्वित हुए मूल रूप से अमरावती निवासी गोकुलचंद बिदरीचंद शर्मा के पुत्र अजय शर्मा ने न्याय व्यवस्था पर तीखे सवाल उठाए हैं. अमरावती मंडल से फोन पर बातचीत करते हुए अजय शर्मा ने प्रश्न उठाया कि, फिर बम धमाकों के लिए कौन जिम्मेदार है? उसी प्रकार धमाकों में मारे गए 186 लोगों और इससे दोगुने घायल हुए एवं जीवन भर के लिए विकलांग हुए लोगों के साथ न्याय कौन व कैसे करेगा?
उल्लेखनीय है कि, अमरावती में धनराज लेन के मूल निवासी गोकुलचंद शर्मा पेशे से इंजीनियर थे. वे मुंबई के प्रसिद्ध नारायणलाल जी पित्ती की वर्ल्ड ट्रेड सेंटर स्थित शांग्रीला बिस्कीट कंपनी में प्रबंधक के रूप में कार्य कर रहे थे. उस वर्ष 7 जुलाई को शाम हुए बम विस्फोट के समय ऑफिस से लोकल ट्रेन से घर लौट रहे थे. उस समय धमाके में मारे गए. घर पर उनकी पत्नी उषा शर्मा और दोनों पुत्र अजय तथा अनुज उनका घर लौटने का इंतजार कर रहे थे. तभी न्यूज चैनलों पर लोकल ट्रेन में बम धमाकों के समाचार ने शर्मा परिवार का कलेजा मुंह को ला दिया. दोनों पुत्र सारी रात पिता गोकुलचंद की खोज करते रहे. सबेरे उन्हें पिता के इन बम धमाकों में मारे जाने का भयानक खुलासा हुआ.
ऐसे में सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले से समूचा शर्मा परिवार आघात में है. अजय शर्मा ने भी सीमित प्रतिक्रिया दी. वहीं गोकुलचंद शर्मा के भानजे अक्षय शर्मा ने भी अमरावती मंडल से बातचीत में कहा कि, कोर्ट का यह निर्णय हमें स्वीकार्य नहीं हैं. कोई भी पीडित इस निर्णय पर सैटिसफाय नहीं हो सकता. अजय शर्मा ने भी कहा कि, सत्र न्यायालय ने किस आधार पर सजा सुनाई थी, और हाईकोर्ट ने कैसे आरोपियों को जाने दिया.
अजय शर्मा ने कहा कि, बीस साल तक इन आरोपियों को सरकारी मेहमान बनाकर क्यों रखा गया? उन्होंने प्रश्न उठाया कि, क्या इन आरोपियों को बाहर असुरक्षित रहते इसलिए सरकारी खिलाई-पिलाई करते हुए जेलों में बंद रखा गया था. इन्हें इसी प्रकार कोर्ट से रिहाई मिलनी थी तो इतने वर्षों तक सरकार ने क्यों सुरक्षा दी और एक प्रकार से उनका भरणपोषण किया? अजय शर्मा और अक्षय शर्मा दोनों ने ही उच्च न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करने से मना कर दिया हैं.
उन्होंने कहा कि, सरकार को इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय में न केवल चुनौती देनी होगी, बल्कि बेहतर कानून अस्त्रों से बम कांड के सैकडों पीडितों को न्याय दिलाना होगा. अक्षय शर्मा ने कहा कि, हम तो अपना करीबी बम स्फोट में खो चुके हैं. उन्होंने यह भी जरूर कहा कि, कागजी खानापूर्ति करने पश्चात गोकुलचंद शर्मा के वारिसों को सभी अपेक्षित बीमा लाभ और अन्य सहायता जरूर मिली है, किंतु बम कांड में लिप्त सैकडों लोगों के हत्यारे आज जेल से बाहर आ गए हैं. यह सभी पीडितों और उनके रिश्तेदारों के लिए बेहद दुखद, पीडादायक घडी है.
अमरावती के हैं जज श्याम चांडक
बम विस्फोटों का अमरावती ट्रिपल कनेक्शन सामने आया है. बम कांड में अमरावती के गोकुलचंद शर्मा की जान चली गई. फिर आरोपियों को सुरक्षा के नाम पर मुंबई की आर्थर रोड जेल से अमरावती मध्यवर्ति कारागार लाया गया. इतनाहीं नहीं तो सोमवार को इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाने वाले एक न्यायाधीश भी न्या.श्याम चांडक अमरावती के मूल निवासी हैं.





