अब कहां हैं समाज व संस्कृति के ‘स्वयंभू’ रक्षक?

फेक वेडींग पार्टी जैसे चलन पर इतना सन्नाटा व चुप्पी क्यों?

अमरावती/दि.18- बडी तेजी के साथ विकास की राह पर आगे बढ रहे अमरावती शहर में महानगरों की तर्ज पर मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता भले ही न हो रही हो, लेकिन समाज व संस्कृति के लिहाज से घातक रहनेवाली महानगरीय बीमारियां व विकृतियां अमरावती शहर में जरुर बडी तेजी के साथ अपनी जगह बनाती जा रही हैं. बडे-बडे महानगरों की तरह अमरावती शहर में एमडी ड्रग जैसे मादक पदार्थों की विक्री व तस्करी होने का मामला अभी ताजा ही था कि, अब बडे-बडे महानगरों की तरह अमरावती शहर में भी फेक वेडींग पार्टी जैसे आयोजन होने की खबर सामने आई है, जिससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि हम, हमारी युवा पीढी और हमारा समाज आखिर प्रगति व विकास के नाम पर किस दिशा में जा रहे हैं. लेकिन सबसे बडी हैरत वाली बात यह है कि, खुद को समाज के ‘स्वयंभू’ ठेकेदार व संस्कृति के ‘तथाकथित’ रक्षक कहलवानेवाले लोगों और संगठनों की अब तक इस फेक वेडींग पार्टी वाले मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और इस कु-संस्कृति के खिलाफ कहीं से कोई आवाज भी नहीं उठी है. ऐसे में ‘स्वयंभू’ ठेकेदारों व ‘कथित’ रक्षकों से सवाल पूछा जा सकता है कि, इतना सन्नाटा और चुप्पी क्यों?
बता दें कि, फेक वेडींग पार्टी एक ऐसा आयोजन होता है, जिसमें शामिल होनेवाले युवा अपने मन में ही यह मान लेते हैं कि, वे किसी वैवाहिक आयोजन जैसे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए हैं, जबकि हकीकत में उस आयोजन में किसी का कोई विवाह नहीं होनेवाला होता. ऐसे में पूरी तरह से कपोलकल्पित शादीवाले इस आयोजन में शामिल सभी युवा शराब के नशे में धूत होकर डीजे के कानफाडू शोर पर बेधूंध बारातियों की तरह नाचते व झूमते हैं. यह अपनी तरह का एक अलग ही ‘स्वैग’ होता है, जिसका चलन युवाओं में बडी तेजी के साथ बढ रहा है. कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, हमेशा ही कुछ अलग तरह की ‘किक’ की तलाश में रहनेवाले युवाओं के कदम बरबस ही ऐसे आयोजनों की तरफ बढते हैं.
कहा जाता है कि, समाज में जिस तरह की जरुरत होती है, उसी तरह के सामान व सुविधाओं की आपूर्ति बाजार द्वारा की जाती है. साथ ही कई बार बाजार ऐसे सामानों व सुविधाओं को उपलब्ध कराता है, जिसे ग्राहक व समाज अपनी जरुरत समझने लगते हैं. कुछ ऐसा ही इन दिनों तेजी से महानगर बनने की ओर बढ रहे अमरावती शहर के साथ भी हो रहा है. अमरावती शहर में विगत कुछ वर्षों के दौरान अर्थव्यवस्था काफी मजबूत हुई है और नवधनाढ्यों की संख्या में तेजी के साथ इजाफा हुआ है. ऐसे नवधनाढ्य व संभ्रांत परिवारों की युवा पीढी हमेशा ही कुछ ‘नया व तूफानी’ करने की तलाश में रहती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर में बडी तेजी के साथ हाईप्रोफाईल बार व रेस्टॉरेंट खुल गए हैं, जहां पर खाने-पीने की सुविधा के साथ-साथ नाचने व झूमने की सुविधाएं भी है. इसके अलावा अन्य कई तरह की सुविधाएं भी चोरी-छिपे तरीके से उपलब्ध कराई जाती हैं, जिनकी जानकारी एक ‘विशिष्ट सर्कल’ में रहनेवाले युवाओं के पास रहती है और ‘माऊथ टू माऊथ कैम्पेनिंग’ के जरिए ऐसे खास ठिकानों की जानकारियां युवाओं के बीच बडी तेजी के साथ प्रसारित भी होती है. हाल-फिलहाल चर्चा में रहनेवाला एरिया-91 रेस्ट्रो बार भी इसी कडी का एक हिस्सा है, जहां पर विगत 13 जुलाई की रात आयोजित फेक वेडींग पार्टी की जानकारी को इंस्टाग्राम पर ‘ऑरा’ व ‘स्पाइडरमैन’ नामक दो अकाउंट के जरिए साझा किया गया था तथा इन दोनों अकाउंटस् के साथ ‘टच’ व ‘कनेक्ट’ में रहनेवाले युवा इस फेक वेडींग पार्टी में पहुंचे थे.
यह कहना बिलकुल भी गैरवाजिब नहीं होगा कि, एरिया-91 कोई अकेला ऐसा रेस्ट्रो बार नहीं है, जहां पर इस तरह का आयोजन हो रहा था, बल्कि शहर में ऐसे अन्य कई ठिकाने भी हैं, जहां पर रेन डान्स पार्टी, रेव पार्टी व फेक वेडींग पार्टी जैसे आयोजन होते रहते हैं. परंतु हैरत इस बात को लेकर होती है कि, हर छोटी-छोटी बात पर संस्कारों व संस्कृति की दुहाई देनेवाले लोग अमरावती में तेजी से पनप रही इस कुसंस्कृति के खिलाफ एक शब्द भी बोलने के लिए तैयार नहीं हैं, जो अपने-आप में सबसे बडा आश्चर्य है. इस पूरे मामले में सबसे बडा सवालिया निशान उन अभिभावकों को लेकर भी लगाया जा सकता है, जिनके घरों के बच्चे इस तरह के आयोजनों में शामिल होते हैं. जाहिर तौर पर यह कोई पहली पार्टी नहीं रही होगी. जिसमें वे युवा शामिल हुए थे, जो पकडे गए है. बल्कि वे इससे पहले भी ऐसे कई आयोजनों में निश्चित तौर पर शामिल हुए होंगे. इसके अलावा शहर में अब भी ऐसे कई युवा होंगे, जो अन्य स्थानों पर आयोजित होनेवाली ऐसी पार्टियों में शामिल होते होंगे. चूंकि ऐसी पार्टियां देर रात तक चलती रहती हैं, जिसमें शामिल होनेवाले युवा रात-रात भर घर से बाहर रहने के साथ-साथ सुबह होते-होते नशे में धूत होकर अपने घर पहुंचते होंगे या फिर नशा उतरने तक रातभर बाहर ही रहते होंगे. ऐसे में सवाल उठाया जा सकता है कि, आखिर उनके अभिभावक क्या कर रहे हैं और उन्हें यह भान कैसे नहीं है कि, उनके बच्चे रातभर बाहर क्यों रहते हैं, घर लौटते समय उनके बच्चों के कदम क्यों लडखडाते हैं.
बच्चों पर ध्यान देने की सबसे पहली जिम्मेदारी जाहिर तौर पर उनके अभिभावकों की ही होती है. परंतु कहीं न कहीं अधिक से अधिक धनार्जन करने और ज्यादा से ज्यादा धनसंचय करने की अंधी दौड में अभिभावकों द्वारा अपने असली धन यानि अपनी संतानों की ओर अनदेखी की जा रही है, जिसकी वजह से युवा पीढी के कदम गलत रास्तों पर बढने के साथ-साथ बहकने भी लगे है. ऐसा कहा जा सकता है कि, ऐसे में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सबसे पहले अपने घर की ओर ध्यान देना होगा. तभी साझा व सामूहिक प्रयासों से पूरे समाज को सही राह पर लाया जा सकेगा, अन्यथा युवाओं का भविष्य नशे की गर्त में गिरकर अंधकारमय होना निश्चित है. इसके लिए समाज के ‘स्वयंभू’ ठेकेदारों व संस्कृति के ‘कथित’ रक्षकों के भरोसे बैठकर काम बिलकुल भी नहीं चलनेवाला है. क्योंकि, उनका अपना ‘एजेंडा’ होता है और वे अपने उसी एजेंडे के हिसाब से समय-समय पर सक्रिय होते है, ताकि उस स्थिति का फायदा उठाया जा सके. संभवत: एरिया-91 वाला मामला उस एजेंडे के खांचे में फिट नहीं हो रहा होगा और इसे लेकर चिल्लपौं मचाने में कोई फायदा दिखाई नहीं दे रहा होगा. जिसके चलते शायद समाज के स्वयंभू ठेकेदार व संस्कृति के कथित रक्षक फिलहाल पूरी तरह से चुप बैठे है. जिसके चलते एरिया-91 वाले मुद्दे को लेकर सन्नाटे और शांति का आलम है.

Back to top button