कहां है और क्या कर रहा है एफडीए?

शहर की सडकों पर खुलेआम हो रही खाद्यपदार्थों की विक्री पर कोई ध्यान नहीं

* दीपावली के चलते मिलावटी मिठाईयों का कारोबार होने की बनी रहती है संभावना
* सर्वसामान्यों के स्वास्थ्य को लेकर हो रही जबरदस्त अनदेखी व लापरवाही
अमरावती/दि.18 – किसी समय दीपावली पर्व के निमित्त लोगबाग किराणा साहित्य खरीदकर लाते हुए अपने-अपने घरों पर दीपावली के फराल हेतु विविध तरह से व्यंजन एवं मिठाईयां तैयार किया करते थे. परंतु जैसे-जैसे जिंदगी दौडभाग भरी होती चली गई, वैसे-वैसे लोगों का रुझान रेडीमेड फराल व मिठाईयां खरीदने की ओर झुकता चला गया. जिसके चलते बाजार की जरुरत और ग्राहकों की मांग को देखते हुए दीपावली का पर्व आते-आते शहर में विभिन्न स्थानों पर सडकों के किनारे दीपावली के रेडीमेड फराल की दुकाने सजनी शुरु हो जाती है. साथ ही मिष्ठान्न भंडारों में भी तरह-तरह की मिठाईयां विक्री हेतु उपलब्ध करा दी जाती है. ऐसे सभी खाद्यपदार्थों की गुणवत्ता की ओर अन्न व औषधी प्रशासन विभाग यानि एफडीए द्वारा ध्यान दिए जाने की सख्त जरुरत अपेक्षित होती है, ताकि ग्राहकों को मिलावटी माल न थमाया जा सके और जनस्वास्थ्य के लिए कोई खतरा भी पैदा न हो सके. परंतु पांच दिवसीय दीपोत्सव का पर्व शुरु हो जाने और शहर में जगह-जगह पर रेडीमेड फराल की दुकाने सज जाने के बावजूद एफडीए का कहीं कोई अतापता ही नहीं है और सडकों के किनारे खुलेआम हो रही खाद्यपदार्थों की विक्री सहित मिष्ठान्न भंडारों में विक्री हेतु उपलब्ध कराई गई मिठाईयों की एफडीए द्वारा कोई जांच-पडताल भी नहीं की जा रही. जिसके चलते सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर एफडीए कहां है? और क्या कर रहा है?
उल्लेखनीय है कि, एफडीए द्वारा पूरे सालभर के दौरान अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत होनेवाली खाद्यपदार्थों व दवाओं की विक्री की ओर ध्यान देने की जिम्मेदारी होती है, ताकि किसी भी तरह के मिलावटी व नकली माल की विक्री न हो सके. परंतु एफडीए के पास हमेशा ही आवश्यक मनुष्यबल की कमी रहती है और इस वजह को आगे करते हुए एफडीए द्वारा हमेशा ही खाद्यपदार्थों एवं दवाईयों के सैम्पल लेने की कार्रवाई करने हेतु खुद को असक्षम व असमर्थ बताया जाता है. परंतु एफडीए के पास रहनेवाली मनुष्यबल की कमी के चलते कार्रवाई नहीं होने का किसी दिन आम नागरिकों को बहुत बडा खामियाजा भुगतना पड सकता है.
ज्ञात रहे कि, इससे पहले भी अमरावती में ऐन पर्व एवं त्यौहारों के मुहाने पर नकली खोया (मावा) व नकली पनीर की खेप बरामद की जा चुकी है. साथ ही पर्व एवं त्यौहारों के समय खाद्यपदार्थों, व्यंजनों व मिठाईयों की मांग में जबरदस्त इजाफा रहने के चलते अधिक से अधिक लाभ कमाने की लालसा के तहत कम गुणवत्तावाली निर्माण सामग्री का प्रयोग करने तथा सामग्री के निर्माण स्थल पर समुचित साफसफाई नहीं रहने की संभावना हमेशा ही बनी रहती है. ऐसे में यह बेहद जरुरी है कि, एफडीए द्वारा कम से कम पर्व एवं त्यौहारों के समय सभी तरह के खाद्य पदार्थ विक्रेताओं एवं मिष्ठान्न भंडारों के यहां औचक भेंट देते हुए वहां पर चल रहे कामकाज का जायजा लिया जाए. साथ ही खाद्यपदार्थों को तैयार करने हेतु प्रयुक्त हो रही सामग्री के सैम्पल भी लिए जाए, ताकि त्यौहार मनाने हेतु अपनी जेब से पैसा खर्च कर मिठाईयां एवं व्यंजन खरीद रहे लोगों को उनके भरोसे के अनुरुप बेहतर गुणवत्तावाले उत्पाद मिले. परंतु एफडीए द्वारा पूरे सालभर अपने पास मनुष्यबल की कमी का रोना रोया जाता है और मनुष्यबल की कमी एकतरह से एफडीए में हकीकत भी है. जिसके चलते एक से अधिक पदों व जिलों का पदभार संभालनेवाले एफडीए के अधिकारी भी अपने-आप को सभी मिष्ठान्न भंडारों व खाद्यपेय विक्रेताओं के यहां जाकर सैम्पल लेने के लिए असमर्थ पाते है.
* एफडीए के भरोसे बैठने की बजाए खुद ही जांचे मिलावट
चूंकि एफडीए के पास इतना कम मनुष्यबल है कि, एफडीए द्वारा शहर सहित जिले की हजारों दुकानों में जाकर सैम्पल लेते हुए मिलावट की जांच-पडताल नहीं की जा सकती. ऐसे में खुद नागरिकों को ही अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरुक होते हुए खाद्यपदार्थों में रहनेवाली मिलावट की जांच-पडताल के तरीके जानने होंगे. खास बात यह है कि, खुद नागरिकों द्वारा अपने घर पर कुछ बेहद आसान तरीकों से विभिन्न खाद्यपदार्थों में रहनेवाली मिलावट को जांचा-परखा जा सकता है.
– दूध में डिटर्जंट तो नहीं – दूध की 5 से 10 मिलीग्राम मात्रा लेकर उसमें उतना ही पानी मिलाए और मिश्रण को अच्छी तरह से हिलाए. यदि दूध में डिटर्जंट मिला होगा, तो मिश्रण में झाग के बुलबुले बनेंगे. वहीं शुद्ध दूध रहने पर बर्तन की तली में दूध की पतली सी सतह बनेगी.
– मिल्क पाउडर में स्टार्च तो नहीं – 2 से 3 मिलीग्राम सैम्पल लेकर उसमें 5 मिलीग्राम पानी मिलाए और हलकी आंच पर गर्म करे और सैम्पल को ठंडा करने के बाद इसमें टिंचर आयोडीन की 2 से 3 बुंदे डाले. यदि सैम्पल में नीला रंग दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि, उसमें स्टार्च मिला हुआ है.
– घी व मख्खन में उबले आलू तो नहीं मिले – कांसे की कटौरी में आधा चम्मच घी या मख्खन लेकर उसमें 2 से 3 बुंद टिंचर आयोडीन मिलाए. यदि सैम्पल में निला रंग बनता है, तो इसका मतलब है कि, घी या मख्खन में उबले आलू, शकरकंद या किसी अन्य स्टार्च की मिलावट की गई है.
– तेल और वसा में मिलावट तो नहीं – तेल का 2 मिली सैम्पल लेकर उसमें थोडा सा गाढा मख्खन मिलाए. यदि तुरंत ही सैम्पल में लाल रंग दिखाई दे, तो इसका मतलब है कि, तेल में ट्राय आर्थो क्रेसाईल फॉस्फेट (टीओसीपी) की मिलावट है.
– शहद में चीनी के घोल की मिलावट तो नहीं – पानी से भरे कांच के पारदर्शक ग्लास में शहद की एक बुंद डाले, यदि शहद शुद्ध होगा तो पानी में नहीं घुलेगा और यदि शहद बुंद पानी में घुल जाए तो इसका मतलब है कि, वह शहद नहीं बल्कि चीनी का घोल है. इसके अलावा रुई की एक बत्ती को शुद्ध शहद में डूबोने के बाद उस बत्ती को माचिस की तिली के जरिए जलाए. यदि शहद शुद्ध होगा तो शहद में भीगी हुई रुई की बत्ती जल उठेगी. वहीं शहद के मिलावटी रहने पर वह बत्ती नहीं जलेगी, बल्कि उसमें से चटकने की आवाज आएगी.
– चीनी में मिलावट तो नहीं – कांच के पारदर्शी ग्लास में पानी लेकर उसमें 10 ग्राम चीनी डाले और घुलाए. यदि चीनी में पिठ्ठी चीनी, गुड या चॉक मिले होंगे, तो मिलावटी पदार्थ ग्लास के तल्ले में जाकर बैठ जाएंगे.
* इन वस्तुओं का होता है मिलावट हेतु इस्तेमाल
– दूध उत्पादो में मिलावट हेतु कृत्रिम रंग, यूरिया, कास्टिक सोडा व घटिया तेल का इस्तेमाल किया जाता है.
– मसालों में ईंट के चुरे, रेत, चॉक पाउडर व अन्य रंगीन रेशो को मिलाकर मिलावट की जाती है.

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