तेंदुआ कहां जाए, शहर की बस्तियों में बढोत्तरी

जंगली प्राणी का संचार क्षेत्र खतरे में

अमरावती/ दि. 18- शहर और आसपास के परिसर में आए दिन तेंदुए के दर्शन हो रहे हैं. जिससे वन विभाग भी चिंतित हो गया है. शहरी भागों में बढती आबादी और इसके कारण बढती बस्तियों से जंगल तक अतिक्रमण के कारण कहा जा रहा है कि मानव और वन्य प्राणी संघर्ष बढ गया है. सीमावर्ती क्षेत्र में बढती बस्तियों में तेंदुए को विचरण करते देखा जा रहा है. विशेषकर तपोवन, अमरावती विद्यापीठ, मंगलधाम कॉलोनी, छत्री तालाब क्षेत्र में आए दिन तेंदुआ दिखाई देने से लोगों में भी भय का वातावरण है.
जंगल महकमे ने लगाए पिंजरे
वन विभाग ने जहां तेंदुआ बार- बार देखा जा रहा है. ऐसी बस्तियों के पास पिंजरे लगाए हैं. गश्ती दल भी बढाए गये है ताकि तेंदुए कों कैद किया जा सके. गत गुरूवार तपोवन परिसर से एक तेंदुए को पकडकर अन्यत्र भेजा गया. शहर के पास के जंगलों मेें तेंदुए की संख्या काफी है. यही तेंदुए शहरी भागों में दिखाई पड रहे है. जिसके कारण यहां जंगल महकमे ने गश्त बढा दी है.
* सीमाओं पर गत 15 तेंदुए
अमरावती मंडल ने वनाधिकारियों से बात की तो अंदाज व्यक्त किया गया कि शहर की सीमावर्ती बस्तियों के पास के जंगलों में एक दर्जन से अधिक तेंदुए वितरण कर रहे हैं. वे शिकार की तलाश में बस्तियों की ओर आ जाते है. इसीलिए तेंदुए को पकडने पिंजरे लगाने के साथ रात के समय वनकर्मी लगातार गश्त कर रहे हैं. वन विभाग ने लोगों से भी रात को अकेले घरों से बाहर नहीं निकलने का आवाहन लोगों से किया है.
* यादव तरटे का कहना
वन्यजीवों के अध्ययनकर्ता यादव तरटे पाटिल का कहना है कि तेंदुआं अपने क्षेत्र में घूमता है. हाल के वर्षो में शहर के सीमार्वती भागों में नागरी बस्तियां बढी है. जिसके कारण तेंदुएं का घूमने का क्षेत्र बाधित हो रह है. जंगल के क्षेत्र में अतिक्रमण वन्यजीवों के लिए धोखादायक है. मानवीय बस्तियों और जंगल की सीमा अधिक स्पष्ट करना आवश्यक है.

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