सिर्फ काटो कहने पर इतनी मिरची क्यों लगी?
पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने फिर साधा सत्ता पक्ष पर निशाना

* बोले – अगर सच में किसी को काट दिया, तो क्या होगा?
अमरावती/दि.25 – विगत दिनों बुलढाणा जिले में किसान परिषद को संबोधित करते हुए किसानों से आत्महत्या करने की बजाए किसी विधायक को काट डालने का आवाहन करनेवाले प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व राज्यमंत्री बच्चू कडू ने अब एक बार फिर दर्यापुर तहसील में आयोजित किसान हक परिषद में राज्य की महायुति सरकार पर जमकर निशाना साधा और अपने द्वारा बुलढाणा में दिए गए बयान पर मचे हंगामे को लेकर कहा कि, उन्होंने केवल किसी विधायक को काट डालने की बात कही, तो इतना हंगामा मचा हुआ है. यदि किसी ने सच में किसी विधायक को काट डाला होता, तो क्या होता, इसकी महज कल्पना ही की जा सकती है.
दर्यापुर में आयोजित किसान परिषद को संबोधित करते हुए बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, हम सभी लोग जात-पात और अलग-अलग पार्टियों में बंटे हुए हैं. हमें अलग-अलग पार्टियों से संकेत मिलते है कि, कोई उद्धव ठाकरे के बारे में कोई कुछ नहीं बोले, देवेंद्र फडणवीस के बारे में भी एक भी शब्द न कहे. बच्चू कडू को लेकर कुछ भी न बोला जाए. शरद पवार के बारे में कैसे बोलें, राहुल गांधी के बारे में तो बोल ही नहीं सकते. लेकिन अगर कोई किसान मरता है, तो सारे राजनीतिक दल और उनके नेता चूप हो जाते है. वहीं किसानों को भी लगता है कि, अगर उन्होंने किसी पार्टी का झंडा उठा लिया, तो सब कुछ घर बैठे ठीक हो जाएगा. लेकिन अब ऐसी मानसिकता अब किसानों को बदलनी चाहिए. उन्हें अब सड़क पर उतरने के अलावा कोई चारा नहीं है.
पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, आज महाराष्ट्र में किसान अपनी सोयाबीन को गारंटी भाव से बहुत कम कीमत में बेचने को मजबूर हैं, तब भी किसानों में कोई रोष व संताप नहीं दिखाई दे रहा. जबकि अगर यही तस्वीर पंजाब में होती तो हजारों किसान जिले के कचहरी पर आ जाते और सरकार को झेलना पड़ता. पर इसके बावजूद हम और हमारे किसान इकठ्ठा नहीं हो रहे, यह अपने-आप में सबसे बडी शोकांतिका है. इसके साथ ही बच्चू कडू ने यह भी कहा कि वे अपनी तीस साल की राजनीति में किसी भी पार्टी में नहीं गए. अगर गए होते, तो हमेशा के लिए विधायक बने रहते, पर साथ ही उस पार्टी के गुलाम बन जाते. लेकिन आज वे स्वतंत्र है और किसानों और खेतमज़ूरों की लड़ाई के लिए तैयार है. यदि किसी आंदोलन में उनकी मौत भी हो जाती है, तो सरकार पर शायद फर्क न पड़े, पर अगर किसान जागे और सड़क पर उतरे तो सरकार को जागना पड़ेगा.
इसके साथ ही पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, किसान और खेतमज़ूर गरीबी में रहें, यही सरकार की नीति होती है. ऐसे में कोई चाहे किसी भी पार्टी का झंडा उठाए, लेकिन यह याद रखे कि, वह झंडा जिस कपास से बनता है, वह कपास किसान उगाता है. हम जात-धर्म की लड़ाई में एक हो जाते हैं, पर किसान के रूप में एक नहीं होते, यह बड़ी दुर्दशा है. आज हम पार्टियों के गुलाम बन गए हैं. जो लोग पार्टी के झंडे उठाते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए – तुम्हारा बाप यानि किसान जिंदा रहना चाहिए. किसी नेता पर निष्ठा रखने से बेहतर है कि माँ-बाप पर निष्ठा रखो. अपनी जमीन की निष्ठा रखो, क्योंकि वही किसान और जमीन तुम्हें एक दाने से सौ दाने बनाकर देते है.





