सरकार से 2.4 करोड रुपये क्यों मांग रहा था बच्चों के बंधक बनानेवाला रोहित आर्या?

पत्नी ने कही बडी बात

मुंबई/दि.31- मुंबई में 17 बच्चों समेत 19 लोगों को बंधक बनाने और फिर आरोपी के एनकाउंटर की खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. यह एक ऐसी आपराधिक घटना है जो कि लोगों को सोचने पर मजबूर करती है. पुलिस का कहना है कि रोहित आर्य का मानसिक संतुलन गडबड था. उसने वीडियो जारी करके सरकार से भी कोई बडी मांग नहीं की थी. ना तो यह घटना किसी साजिश की तरह थी जो कि लोगों को डराने के लिए की गई हो. फिर आखिर क्या ऐसी बात है जो कि घटना को राजनीतिक गलियारों से जोडती है.
रोहित आर्या ने दावा किया था कि उसकी कंपनी अप्सरा मीडिया एंटरटेनमेंट नेटवर्क ने सरकार के लिए शहरी साफ-सफाई से जुडे अभियान के लिए काम किया था. बच्चों को बंधन बनाने से पहले ही उसने दावा किया था कि वह अपनी ‘साधारण और नैतिक’ मांगों का जवाब चाहता है. हालांकि उसने यह नहीं बताया था कि उसकी मांगें क्या है.
पवई इलाके में आरए स्टूडियो में रोहित आर्या ने ऑडिशन के नाम पर बच्चों को बुलाकर बंधक बना लिया. पुलिस की टीम को जानकारी मिलने के बाद लोगों को बचाने के प्रयास शुरू हुए. जब आर्या ने बच्चों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी तो पुलिस जबरन बाथरूम में घुस गई. आर्या यही कह रहा था, मैं आतंकी नहीं हूं, ना मुझे पैसे चाहिए. बस मुझे कुछ लोगों से बात करनी है. उसने कहा, मुझे आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया था. लेकिन मैने अपनी जान नहीं ली और इस योजना से उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रहा हूं जिनसे मुझे बात करनी है. पुलिस की कार्रवाई में आर्या को गोली लगी और उसकी मौत हो गई.
इस घटना के बाद एक बयान जारी करके शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि आर्या की कंपनी को एक प्रोजेक्ट को लीड करने की जिम्मेदारी दी गई थी. स्वच्छता के कार्यक्रम में 59 लाख स्टूडेंट्स को शामिल करना था. उस समय 9.9 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया था. इसके बाद 2023-24 में मुख्यमंत्री माझी शाला सुंदर शाला नाम से योजना का दूसरा चरण शुरू हुआ इसमेें 20.63 करोड के अलावा स्च्छता मॉनिटर्स पर दो करोड रुपये का खर्च किया जाना था.
सरकार ने कहा कि आर्या ने जो भी दस्तावेज दिए थे वे पूरे नहीं थे. आर्या को एक डॉक्यूमेंट्री बनानी थी लेकिन महंगे चार्ज, मैनपावर और टेक्निकल सपोर्ट की वजह से इसे अभियान में शामिल नहीं किया जा सका. एक साल बाद आर्या से कहा गया कि वह फिर से प्रोलेक्ट पर काम करें. इसके बाद उन्होंने 2.42 करोड रुपए की मांग की थी. प्रपोजल पर बात हो रही थी तभी एक और कमी सामने आ गई. शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने कहा. किसी भी प्रोजेक्ट के लिए कुछ टेंडर, नियम और शर्ते जरूरी होती है. इस मामले में कोई भी प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई थी. एक प्राइवेट मीडिया फर्म ने स्कूलों से पैसे इकट्ठे किए जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती थी. शिक्षा विभाग ने बताया कि पिछले साल अगस्त में आर्या से कहा गया था कि जो भी पैसा उन्होंने इकट्ठा किया है उसे सरकार से अकाउंट में डाल दे. उनसे कहा गया कि जब तक वह सारे पैसे अकाउंट में नहीं डालते हैं और एक हलफनामा देकर वादा नहीं करते कि अब से इस तरह की वसूली नहीं होंगी, उसके प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी जाएगी.
बीते साल विधानसभा चुनाव के बाद जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने तो इस अभियान को ही रोक दिया. आर्या की पत्नी अंजलि आर्या का कहना है कि उनके पति मंजूर हुए पैसे और अपने काम की पहचान, दोनों के लिए लड रहे थे.

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