केसडायरी न लेनेवाले एपीआई की दो वार्षिक वेतनवृध्दि रोकी

शिकायतकर्ता महिला को भेजा वापस, मामला भी रखा दबाकर

* पुलिस आयुक्त अरविंद चावरिया ने की कार्रवाई
अमरावती /दि.10 – हत्या के प्रयास प्रकरण की केसडायरी लेने के लिए टालमटोल कर आरोपी को गिरफ्तार न करते हुए वरिष्ठों के आदेश की अवहेलना करनेवाले सहायक पुलिस निरीक्षक की दो वार्षिक वेतन वृध्दि रोकी गई. सबंधित एपीआई का नाम रमेश बाबर है. उस पर प्रकरण दबाने का आरोप किया गया है. पुलिस आयुक्त अरविंद चावरिया ने ऐसे आदेश निकाले है.
एपीआई रमेश बाबर गाडगे नगर थाने में कार्यरत रहते यह मामला घटित हुआ था. गाडगे नगर के थानेदार ने 14 मार्च को एपीआई रमेश बाबर के पास हत्या के प्रयास का एक मामला जांच के लिए दिया था. डीबी स्क्वॉड के दल ने उस प्रकरण के आरोपी भी कब्जे में लिए थे. लेकिन 16 मार्च को साप्ताहिक अवकाश के बाद केस डायरी लेने की बात रमेश बाबर ने महिला पुलिस अंमलदार से कही. विशेषयानी बाबर 14 मार्च की रात 9 बजे नाईट ड्यूटी पर मौजूद रहने के बावजूद उन्होंने इस गंभीर मामले के दोनों आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया और 15 मार्च को सुबह चले गए. इस कारण पीएसआई सुषमा आठवले ने 15 मार्च को उन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया.

* महिला शिकायतकर्ता को भेजा वापस
14 मार्च की रात 9 से 15 मार्च की सुबह 9 बजे तक ड्यूटी पर रहते रमेश बाबर ने उस कालावधि में आई शिकायत बाबत थानेदार दिनेश दहातोंडे को कोई भी जानकारी नहीं दी. बाबर ने शिकायतकर्ता महिला की शिकायत दर्ज नहीं की. 15 मार्च को अन्य डीओ ने उनकी शिकायत दर्ज की. जिस कारण आई हुई शिकायत और प्रकरण की जानकारी वरिष्ठों को न देते हुए परस्पर क्राईम बर्किंग करना यह गंभीर मामला रहने का आरोप उन पर किया गया. उन्होंने थानेदार का फोन कॉल भी रिसिव नहीं किया.

* थानेदार ने डाला साना, ऐसा है आरोप
रमेश बाबर जांच कार्य में ड्यूटी पर उपस्थित न होने बाबत थानेदार दहातोंडे ने 16 मार्च को स्टेशन डायरी पर वैसा दर्ज किया. वरिष्ठों को कोई भी पूर्व सूचना न देते हुए परस्पर ड्यूटी से अनुपस्थित रहना, हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले की केसडायरी अपने पास न लेते हुए आदेश की अवहेलना, आरोपियों को गिरफ्तार न करना, उन्हें रिमांड के लिए न्यायालय में पेश न करने की लापरवाही और मनमानी तथा अनुशासन का उल्लंघण करने का आरोप बाबर पर रखा गया है. इसके लिए उन्हें कारण बताओं नोटीस दी गई थी. लेकिन उसका स्पष्टिकरण पुलिस आयुक्त को समाधान कारक नहीं लगा.

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