महिला की रात में गिरफ्तारी, मिली जमानत
हाईकोर्ट कहता है, मूलभूत अधिकार नहीं छिना जा सकता

नागपुर /दि.15– यवतमाल के एक प्रकरण में पुलिस ने एक महिला को सूर्यास्त के पूर्व ही गिरफ्तार किया रहने की बात सिद्ध करने में पुलिस विफल रही. इस कारण मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ की न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फलके ने महिला की जमानत याचिका मंजूर कर ली है.
भारतीय संविधान द्वारा दिए गए जीवन और स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार उचित कानूनी प्रक्रिया न अपनाते हुए एक संदिग्ध से भी नहीं छिना जा सकता, ऐसा निरीक्षण दर्ज कर न्यायालय ने यह जमानत याचिका मंजूर की है. सुजाता महाजन आरोपी महिला का नाम है. वह बाबाजी दाते महिला सहकारी बैंक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहते 242 करोड रुपए का घोटाला हुआ. उनके खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज है. उन पर आरोप है कि, उन्होंने सीईओ के रुप में पद पर रहते अपने पति के साथ रिश्तेदारों के नाम से बैंक से फर्जी कर्ज मंजूर किया. बैंक के संचालक मंडल की अनुमति न लेते हुए यह कर्ज वितरित किया गया. इन पैसों में से काफी रकम उसके पति के खाते में ट्रांसफर की गई थी. यह अनियमितता का आंकडा 242 करोड रुपए है. विशेष लेखापरिक्षक की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने यह मामला दर्ज किया था.
* सूर्यास्त के बाद गिरफ्तारी करने अनुमति जरुरी
सुजाता महाजन के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर ने युक्तिवाद किया कि, आरोपी को की गई गिरफ्तारी अवैध है. नियमानुसार महिला को संध्याकाल के बाद गिरफ्तार करना हो तो प्रथमश्रेणी न्यायदंडाधिकारी की पूर्वानुमति आवश्यक है. लेकिन इस प्रकरण में वैसी अनुमति ली हुई दिखाई नहीं देती. गिरफ्तारी के समय तैयार किए गए कागजपत्र के मुताबिक उन्हें शाम 5.58 बजे गिरफ्तार किया दिखाई देता है. लेकिन चार्जशीट में यही समय रात 10.39 बजे दिखाया गया है. इस कारण गिरफ्तारी के समय पर संदिग्धता निर्माण हुई है. साथ ही उनके रिश्तेदारों को गिरफ्तारी का कारण बताया नहीं गया. इस पर न्यायालय ने संबंधित निरीक्षण दर्ज कर महाजन को एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया.





