डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर महिला से जालसाजी

9.40 लाख रुपए का लगाया ऑनलाइन चूना

* महिला शिक्षिका फसी साईबर ठकबागों के जाल में
अमरावती /दि.9 – आपके नाम पर दिल्ली की बैंक में एक खाता खोला गया था, जिसके जरिए करोडों रुपए का अवैध आर्थिक लेन-देन हुआ है. जिसके लिए आपको गिरफ्तार भी किया जा सकता है, इस आशय का डर दिखाकर साईबर ठकबाजों ने स्थानीय खरकाडीपुरा परिसर में रहनेवाली 51 वर्षीय महिला के साथ करीब 9.40 लाख रुपए की धन उगाही की. हैरतवाली बात यह भी रही कि, पेशे से शिक्षिका रहनेवाली उस पढी-लिखी 51 वर्षीय महिला ने भी साईबर अपराधियों द्वारा दी गई धमकी के झांसे में फंसकर लोन निकालते हुए उनके द्वारा बताए गए बैंक अकाउंट में 9.40 लाख रुपए की रकम जमा कराई. लेकिन बाद में जैसे ही उस महिला को अपने साथ आर्थिक धोखाधडी होने का एहसास हुआ, तो उसने साईबर पुलिस थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर अपराधिक मामला दर्ज करते हुए साईबर पुलिस ने जांच-पडताल करनी शुरु की है.
इस संदर्भ में दर्ज कराई गई शिकायत में फिर्यादी महिला द्वारा बताया गया कि, उसके मोबाइल पर 20 नवंबर को रात सवा 11 बजे के आसपास एक अनजान नंबर से फोन कॉल आई थी और फोन करनेवाले व्यक्ति ने खुद को दिल्ली क्राईम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए कहा था कि, उस महिला शिक्षिका के नाम पर दिल्ली की बैंक ऑफ बडौदा की शाखा में अकाउंट खोला गया है. जिसके जरिए करोडों रुपयों का आर्थिक लेन-देन भी हुआ है. जिसकी शिकायत दिल्ली क्राईम ब्रांच में दर्ज है और इस मामले की जांच-पडताल के लिए दिल्ली क्राईम ब्रांच द्वारा उक्त महिला को हिरासत में भी लिया जा सकता है. इस गिरफ्तारी से बचने हेतु कॉल करनेवाले व्यक्ति ने उक्त महिला से 10 लाख रुपए देने के लिए कहा, साथ ही रकम अदा करने तक उसे डिजिटल अरेस्ट किए जाने की बात भी कही. इन तमाम बातों से डरकर उक्त महिला ने अपनी जान बचाने के लिए अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के खाते से 9 लाख 40 हजार रुपए का कर्ज निकाला और कॉल करनेवाले व्यक्ति द्वारा बताए गए बैंक खाते में जमा कराए. जिसके बाद उस महिला की कथित डिजिटल अरेस्ट से मुक्तता की गई. परंतु इसके बाद जब उस महिला ने इस बारे में शांतिपूर्ण ढंग से सोचा, तो उसे अपने साथ हुई धोखाधडी का एहसास हुआ. जिसके चलते उसने साईबर पुलिस थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई. जिसके आधार पर साईबर पुलिस ने बीएनएस की धारा 318 (4) व 319 (2) तथा आईटी एक्ट की धारा 66 (क) व 66 (ड) के तहत अपराधिक मामला दर्ज करते हुए जांच करनी शुरु की.

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