धारणी में अवैध शराब विक्री व व्यवसाय को लेकर महिलाएं संतप्त

जन आंदोलन की दर्शाई तैयारी

* बैठक में पूर्व विधायक भिलावेकर को सुनायी व्यथा
धारणी/दि.14-सर… अब तो ‘लाडली बहना’ योजना के पैसे भी छीन लेते हैं दारू और मटके के लिए… मारते-पीटते हैं, बर्तन तक बेच देते हैं, क्या हम महिलाओं को बस पीटा जाने के लिए छोड़ दिया है? यह सवाल मेलघाट की महिलाओं ने गुरुवार को धारणी शहर के रंग भवन में हुई बैठक में भाजपा के जिला अध्यक्ष तथा पूर्व विधायक प्रभुदास भिलावेकर के समक्ष किया.
मेलघाट में तेजी से फैलता अवैध वर्ली मटका, देशी दारू, गांजा और अवैध वाहतूक का कारोबार, जो आदिवासी समाज की जड़ें खोखली कर रहा है. इसी गंभीर मुद्दे को लेकर भाजपा के जिलाध्यक्ष व पूर्व पार्षद प्रभुदास भिलावेकर ने एक बैठक बुलाई थी. जिसमें मेलघाट के सभी राजनीतिक दलों के नेता, सरपंच-उपसरपंच, पुलिस पाटिल, महिला प्रतिनिधि और नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे. बैठक में जब महिलाओं को बोलने का मौका मिला, तो वहाँ सन्नाटा छा गया और आंखें नम हो गईं. एक महिला ने बताया – सर अब तो ‘लाडली बहना’ योजना के पैसे भी हमसे छीन लिए जाते हैं… मारपीट करके! घर में बर्तन बिक रहे हैं, बच्चों की फीस तक डूब रही है – और प्रशासन अब तक खामोश क्यों है? गुरुवार को धारणी के रंग भवन में जो हुआ, वो एक मीटिंग नहीं बल्कि मेलघाट की बहनों की कराह बनकर गूंजा. प्रभुदास भिलावेकर को आदिवासी समाज की दर्जनों महिलाओं ने अपनी पीड़ा सुनाई.
कुछ दिन पहले ही माजी आमदार भिलावेकर ने अमरावती जिले के पालकमंत्री चंद्रकांत दादा बावनकुले को एक विस्तृत निवेदन सौंपा था, जिसमें इन सभी अवैध धंधों का उल्लेख किया गया. पालकमंत्री ने इसे गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी आशीष येरेकर को तत्काल बैठक बुलाने व सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. इसके तहत शुक्रवार को बैठक हुई. इसके पूर्व गुरुवार 10 जुलाई को धारणी के रंगभवन में हुई बैठक में कहा, 2014 में जब मैं विधायक था, तब 35 गांवों में दारूबंदी करवाई थी, जिसकी शुरुआत मैंने खुद अपने गांव से की थी. लेकिन अब हालात फिर गंभीर हैं. अवैध दारू, मटका और गांजे ने मेलघाट की नसें तोड़ दी हैं. अब गांव-गांव में जनता को खुद उठना होगा. उन्होंने सरपंच, उपसरपंच और पुलिस पाटिलों को आह्वान किया कि वे गांव में नुक्कड़ सभा बुलाएं, बैठकें लें और दारू-मटका मुक्त ग्राम अभियान शुरू करें. अगर कोई अड़चन हो तो मुझे फोन करो, मैं खुद आऊंगा, ऐसा वचन भी उन्होंने दिया. बैठक में उपस्थित लोगों ने कहा कि, अवैध धंधों को बंद करने के लिए अब गांव चुप नहीं बैठेंगे. हमने वर्षों सहा है अब वक्त आ गया है कि हम खुद इन धंधों के खिलाफ खड़े हों,ऐसी जनभावना पूरे रंग भवन में गूंज रही थी.

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