नगर रचना में नहीं हुआ वर्क कल्चर डेवलप, लेआऊट में जाकर देखते भी नहीं
बिल्डरों के यहां बनते लेआऊट के नक्शे, एडीटीपी केवल सिक्के मारता

* विधायक संजय खोडके का मनपा की सभा में खुल्लम-खुल्ला आरोप
* अलग से नगर रचना की मीटिंग लेने के संकेत
* बढाएंगे महापालिका का जबरदस्त राजस्व
* पत्नी विधायक सुलभा खोडके के साथ लिया मनपा के कामों का सघन जायजा
अमरावती /दि.10- अमरावती में 5-7 बिल्डर, डेवलपर ऐसे है, जिनका काफी बडा सेटअप है. उनके कम्प्युटर में सभी विभागों का एसेस है. वहां उनके दप्तर में लेआऊट के नक्शे तैयार होते हैं. नगर रचना विभाग में वह नक्शे लाकर सीधे सम्मती की मुहर लगा दी जाती है, इस प्रकार का इस विभाग काम होने का सनसनीखेज आरोप विधायक संजय खोडके ने आज दोपहर भरी सभा में किया. अपनी पत्नी विधायक सुलभा खोडके के साथ महापालिका के विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा एवं नागरिकों की अपेक्षा सहित विभागों को आवश्यक साधन सामग्री के विषय में आयोजित खास अवलोकन बैठक में संजय खोडके बोल रहे थे. इस समय मंच पर खोडके के साथ आयुक्त व प्रशासक सौम्या शर्मा चांडक, उपायुक्त शिल्पा नाईक, नरेंद्र वानखडे मौजूद थे. जबकि डॉ. आंबेडकर सभागार में हुई बैठक ेंमें शहर के अनेक भागों के नागरिक, कार्यकर्ता और प्रमुख लोग मौजूद थे.
संजय खोडके ने एडीटीपी के कामकाज पर नाराजगी भरे लहजे में इसके लिए अलग से विस्तृत बैठक लेने के भी संकेत दिए. उन्होंने कहा कि, देखा जाए तो नगर रचना विभाग के माध्यम से महापालिका की आमदनी जोरदार बढाई जा सकती है. किंतु अमरावती में इसका वर्क कल्चर डेवलप नहीं हुआ. उन्होंने स्टाफ की जानकारी ली, तो बताया गया कि, केवल तीन सहायक अभियंता इस विभाग में कार्यरत है. एडीटीपी से संबंधित अनेक शिकायते रोजाना प्राप्त होने की बात उन्होंने कही.
* विधायक सुलभा खोडके का भयंकर आरोप
सदन में मौजूद विधायक सुलभा खोडके ने एडीटीपी विभाग का कामकाज अत्यंत बोगस होने का भयानक आरोप भरी सभा में किया. उन्होंने आरोप लगाया कि, नगर रचना विभाग के अधिकारी और अभियंता कभी भी लेआऊट को प्रत्यक्ष जाकर नहीं देखते. केवल कार्यालय में बैठे-बैठे ही मंजूरी के दस्तखत कर देते हैं, सिक्के लगा देते हैं. नागरिक हमसे आकर शिकायतें करते हैं. उन्हें जवाब देते-देते हम थक जाते हैं. सामान्य नाली और सडक के काम भी लेआऊट में मंजूर रहने और नक्शे में बताने के बावजूद डेवलपर अथवा बिल्डर नहीं करते. इसके लिए उन्होंने नगर रचना विभाग के कुछ अधिकारियों के नाम भी लेकर खलबली मचा दी. श्रीमती खोडके ने कहा कि, मंजूरी कैसे मिलती है? कितने पैसे दिए जाते है? यह सभी को पता है.
* महापालिका पर बढता भार
विधायक संजय खोडके ने यह कहकर खलबली मचा दी कि, प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से पैसे चुकाते ही लेआऊट की स्वीकृती दे दी जाती है. उनका साफ इशारा लाखों की रिश्वत का रहा, किंतु उन्होंने ओपनली कहने की बजाए बताया कि, शहर का व्याप बढता जा रहा है. नए-नए लेआऊट मंजूर हो रहे हैं. बिल्डरों के दफ्तरों में आयते नक्शे तैयार होते हैं. उन पर नगर रचना विभाग केवल मुहर लगाता है. रस्ते और नालिया नहीं बनने की स्थिति में भार महापालिका पर पडता है. बहुत बार मीटिंग ले चुके. अब अच्छे तरीके से सबकुछ ठीक करना पडेगा की भाषा विधायक खोडके ने कही. एमएलसी खोडके ने कहा कि, सिस्टम डेवलप करना पडेगा, अभी तो जो बिल्डर या डेवलपर कहता है, वही यह विभाग करता आ रहा है. सभा में यश खोडके, प्रशांत डवरे, रतन डेंडूले, अविनाश मार्डीकर, भूषण बनसोड, कर्नलसिंह राहल, महेंद्र भूतडा, जीतू ठाकुर, महेश साहू, विशाल गुप्ता आदि मौजूद थे.
* दो दिनों में शुरु होगा सर्वे
बैठक में उद्यान विभाग, सुलभ शौचालय, हॉकर्स जोन, पानी की टंकी आदि अनेक विषयों पर नागरिकों ने प्रश्न उठाए. हॉकर्स जोन की नए सिरे से घोषणा के लिए आयुक्त सौम्या शर्मा चांडक ने दो दिनों में नया सर्वे कर प्रत्येक जोन में हॉकर्स जोन निर्धारित करने की बात कही. उन्होंने सदन को जानकारी दी कि, पांच वर्ष से कम अवधि पर पुन: सर्वे नहीं कराया जा सकता था. वे नए सर्वे के लिए निर्देश दे रही है. पक्की व्यवस्था हॉकर्स के लिए की जाएगी. इसके लिए आवश्यक अधिसूचना जारी करने की बात भी आयुक्त ने कही.
* उद्यान विभाग में नई साधन सामग्री
सभा में प्रशांत डवरे ने उद्यान विभाग के पास केवल एक शक्तिमान होने और ट्रैक्टर आदि की व्यवस्था न होने से कामकाज प्रभावित होने की शिकायत की. जिस पर नई साधन सामग्री खरीदने के लिए विधायक खोडके ने निर्देश दिए. शहर के कई उद्यानों में आधे-अधूरे कटे पेड-पौधे की लकडी और पत्ते वहां जगह घेरे रहते है. उन्हें ट्रैक्टर अन्य वाहन न होने से शीघ्र हटाया नहीं जाता, इस विषय पर भी प्रशांत डवरे ने ध्यान खींचा. अंबा नाले के छत्री तालाब से लेकर लालखडी तक बहाव को बडे पाइप से ढककर स्थायी हल निकालने के निर्देश विधायक सुलभा खोडके ने दिए. बैठक में तपोवन रोड के खंडेलवाल का अतिक्रमण का मुद्दा उपस्थित किया गया. ऐसे ही जिलाधिकारी कार्यालय और जिला परिषद के पास सुलभ शौचालय की संभावना देखे जाने की सूचना की गई. इसके लिए आवश्यक हुआ तो डीपीसी से फंड उपलब्ध करवाने की जानकारी जनप्रतिनिधियों ने सदन को दी.





