शहर की राजनीति में तेजी से अपनी जगह बना रहे यश खोडके
अल्प समय में ही ‘युथ आईकॉन’ बनकर उभरे

* युवाओं सहित समाज के सभी घटकों पर बनाई पकड
* विधायक माता-पिता की छांव में रहकर बनाई अपनी अलग पहचान
* कल जन्मदिवस पर यश खोडके की प्रासंगिकता की दिखी जबरदस्त छाप
अमरावती शहर की विधायक सुलभा खोडके तथा अजीत पवार गुट वाली राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य संजय खोडके के सुपुत्र यश खोडके का कल 26 सितंबर को जन्मदिवस बडी धूमधाम के साथ मना. चूंकि यश खोडके के दोनों अभिभावक लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहने के साथ ही इस समय विधायक भी है, तो यश खोडके का जन्मदिवस धूमधाम से मनना स्वाभाविक भी था. लेकिन यह महज किसी नेता पुत्र के जन्मदिवस की तरह नहीं था, बल्कि यश खोडके के जन्मदिवस ने आनेवाले समय के लिए अमरावती शहर में एक नए नेतृत्व का उदय होने का संकेत भी दे दिया और गत रोज यश खोडके के जन्मदिवस पर दिनभर चले विभिन्न आयोजनों से यह स्पष्ट हो गया कि, यश खोडके ने अमरावती शहर की राजनीति पर बडी तेजी के साथ अपनी जगह बना ली है और वे युवाओं के बीच ‘युथ आईकॉन’ के रुप में लगभग स्थापित ही हो गए. यह बात गत रोज यश खोडके को जन्मदिवस की शुभकामनाएं देने हेतु उपस्थित समाज के विभिन्न वर्गों से वास्ता रखनेवाले लोगों, विशेषकर युवाओं की उपस्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है.
ध्यान दिया जा सकता है कि, यश खोडके की उम्र अभी महज 30 वर्ष और उन्होंने पिछले चार-पांच वर्षों से ही राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय होकर अपने माता-पिता के काम में हाथ बटाना शुरु किया. किसी भी व्यक्ति के लिए राजनीति के क्षेत्र में खुद को स्थापित करने हेतु यह बेहद कम समय माना जाता है. लेकिन यश खोडके ने इसी अल्प अवधि के दौरान दिनरात मेहनत करते हुए शहर के राजनीतिक क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई. यदि यश खोडके चाहते तो विधायक माता-पिता की संतान होने के चलते वे एक आरामतलब जिंदगी भी जी सकते थे. लेकिन यश खोडके ने अपने लिए एक अलग राह चुनी. जिसके तहत उन्होंने शहर की राजनीति पर अपनी बेहद मजबूत पकड रखनेवाले अपने माता-पिता की छांव में रहकर ही अपनी एक स्वतंत्र पहचान बनानी शुरु की. साथ ही साथ वे अपने माता-पिता के लिए भी एक मजबूत आधारस्तंभ भी बने हुए है.
यहां पर यह भी ध्यान दिया जा सकता है कि, अमरावती शहर सहित जिले की राजनीति में कई नेता सक्रिय एवं चर्चित है और लगभग सभी नेताओं की संताने अब युवावस्था को प्राप्त कर चुकी है. लेकिन उनमें से किसी का भी नाम यश खोडके की तरह चर्चित व सक्रिय दिखाई नहीं देता. ऐसे में कहा जा सकता है कि, इस समय यश खोडके भले ही हर मौके पर अपने माता-पिता के साथ अथवा उनके पीछे खडे दिखाई देते है. लेकिन कल यश खोडके के जन्मदिन पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों ने स्पष्ट संकेत दे दिए कि, बहुत जल्द यश खोडके का नाम शहर सहित जिले में अगली पंक्ति के नेताओं में शामिल दिखाई देगा, क्योंकि कल जिस तरह से यश खोडके के जन्मदिवस समारोह में समाज के अलग-अलग घटकों से वास्ता रखनेवाले लोगों के साथ-साथ 5 से 6 हजार युवाओं का जमघट उमडा. उससे यह स्पष्ट हो गया कि, कल भले मौका यश खोडके के जन्मदिवस का था. लेकिन इस जन्मदिवस ने यश खोडके के नेतृत्व पर एकतरह से मुहर लगाने का काम कर दिया है.
यश खोडके अभी चार-पांच वर्ष पहले ही मुंबई से अपनी पढाई पूरी कर अमरावती वापिस आए थे और उन्होंने अपने माता-पिता के मार्गदर्शन में राजनीति के क्षेत्र की बारिकियां सिखनी शुरु की थी. जिसके बाद वर्ष 2024 के विधानसभा चुनाव में यश खोडके ने अपनी माताजी यानि सुलभा खोडके के चुनाव प्रचार की बागडौर संभाली और अपनी इस पहली ही जिम्मेदारी में यश खोडके पूरी तरह से सफल हुए. यश खोडके द्वारा शहर के युवाओं के बीच तेजी के साथ बढाए गए जनसंपर्क और संजय खोडके के 35 वर्षों के राजनीतिक अनुभव के दम पर सुलभा खोडके लगातार दूसरी बार अमरावती की विधायक निर्वाचित हुई. सुलभा खोडके की इस जीत ने उनके बेटे यश खोडके को शहर में एक युवा नेतृत्व के तौर पर स्थापित कर दिया था. जिसके बाद यश खोडके के पिता व राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय खोडके भी विधान परिषद हेतु चुने जाते हुए विधायक बने. जिसके बाद सत्ता का सुख भोगते हुए आराम से घर बैठ जाने की बजाए यश खोडके ने खुद को शहर के सामाजिक क्षेत्र में झोंक दिया और अपने परिवार द्वारा संचालित शोध प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पद का जिम्मा संभालते हुए उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के साथ-साथ विशेष तौर पर युवाओं के बीच अपनी गहरी पैट बनानी शुरु कर दी. जिसके चलते यश खोडके स्थानीय युवाओं के बीच बडी तेजी के साथ लोकप्रिय भी होते चले गए. इसका परिणाम कल यश खोडके के जन्मदिवस पर साफ दिखाई दिया, जब शहरभर में युवा वर्ग द्वारा यश खोडके को जन्मदिवस की शुभकामना देने हेतु स्वयंस्फूर्त तौर पर 200 से 250 फ्लेक्स व बैनर लगाए गए थे. साथ ही साथ युवाओं ने खुद अपने स्तर पर पैसे इकठ्ठा करते हुए लगभग सभी अखबारों में यश खोडके को जन्मदिवस की शुभकामना देने हेतु जमकर विज्ञापन भी प्रकाशित करवाए. जिसके बारे में खुद यश खोडके को कुछ भी नहीं पता था और जब यश खोडके ने अपने जन्मदिवस पर इतने बडे पैमाने पर विज्ञापन व होर्डींग्ज देखे, तो वे खुद भी बेहद हैरत में पड गए. साथ ही साथ कल सुबह 7 बजे से ही यश खोडके के घर पर उन्हें जन्मदिवस की शुभकामनाएं देने हेतु समाज के विभिन्न घटकों से वास्ता रखनेवाले सभी आयुवर्ग के लोगों का जमघट लगना शुरु हुआ, जिनमें युवाओं की संख्या सबसे अधिक थी. जिसके बाद युवाओं द्वारा ही संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में यश खोडके का अभिष्टचिंतन करने हेतु जन्मदिन समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें दो हजार से अधिक युवाओं की मौजूदगी रही.
इन तमाम बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, अमरावती शहर में अब तक किसी भी नेता पुत्र या युवा नेता का जन्मदिन इतने भव्य-दिव्य तरीके और उत्साह के साथ कभी नहीं मना. ऐसे में यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, कल जिस तरह से युवा नेता यश खोडके का जन्मदिवस मना है, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि, यश खोडके ने खुद को अमरावती शहर में युवा नेतृत्व के साथ-साथ भावी नेतृत्व के तौर पर बेहद मजबूत तरीके से स्थापित कर लिया है. साथ ही समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवाओं के बीच यश खोडके की अच्छी-खासी स्वीकार्यता भी बन चुकी है. जिसके दम पर यश खोडके आनेवाले समय में अमरावती शहर सहित जिले की राजनीति में निश्चित तौर पर एक महत्वपूर्ण केंद्र के तौर पर स्थापित होते दिखाई देंगे.
* खुद डेप्युटी सीएम अजीत पवार भी हैं यश के कायल
यहां इस बात का विशेष उल्लेख किया जा सकता है कि, राकांपा नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी अपने युवा सिपहसालार यश खोडके के नेतृत्व कौशल व क्षमता के बेहद कायल व प्रशंसक है. विगत विधानसभा चुनाव के समय राकांपा नेता अजीत पवार ने चुनाव प्रचार के बारे में यश खोडके से बातचीत करते हुए अमरावती की सीट को लेकर जब स्थिति पता करनी चाही थी, तो यश खोडके ने उन्हें भरोसा दिलाते हुए कहा था कि, दादा, आप अमरावती सीट की बिल्कुल भी चिंता मत करों, क्योंकि अमरावती की सीट पर राकांपा प्रत्याशी सुलभा खोडके की जीत पूरी तरह से तय है. महज 28-29 साल के एक युवा के इस आत्मविश्वास को देखकर अजीतदादा भी हैरत में पड गए थे और उन्होंने इस बात का उल्लेख नागपुर में आयोजित पार्टी के सम्मेलन में करते हुए सभी के सामने यश खोडके की नेतृत्व क्षमता को लेकर जबरदस्त प्रशंसा की थी.
* 30 से 35 हेल्पलाइन के जरिए सभी तक बनाई पहुंच
यश खोडके ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर जरुरतमंदों की सहायता के लिए एक बेहद अलग तरह का रास्ता अपनाया है. जिसके तहत यश खोडके ने पांच-पांच युवाओं का समावेश रहनेवाले करीब 30 से 35 सहायता दल बनाए है. यश खोडके द्वारा स्थापित ये सभी हेल्पलाइन टीमे नागरिकों तक स्वास्थ एवं मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के साथ ही उनके विभिन्न सरकारी महकमों से वास्ता रहनेवाले कामों को पूरा करने में भी सहायता करती है. इन सभी टीमों में शामिल सदस्यों के नामों की सूची हर किसी के लिए हमेशा उपलब्ध रहती है और सभी टीमों के सदस्य पूरा समय एक-दूसरे के संपर्क में रहते है. साथ ही साथ सभी टीमों के कामों पर खुद यश खोडके की पूरी नजर रहती है और समय-समय पर यश खोडके द्वारा अपनी सभी टीमों के कामकाज का जायजा भी लिया जाता है.
* कई बडे धार्मिक, सामाजिक व क्रीडा उपक्रमों का भी यशस्वी आयोजन
यश खोडके ने अपने नेतृत्वतले युवाओं की एक जबरदस्त टीम साकार करने के साथ ही शहर में कई बडे-बडे धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व क्रीडा संबंधी उपक्रमों का भी यशस्वी आयोजन कर दिखाया है. जिसके तहत अमरावती शहर में अब तक की सबसे बडी कबड्डी टुर्नामेंट का आयोजन करने के साथ ही सबसे बडी क्रिकेट टुर्नामेंट व फुटबॉल टुर्नामेंट का आयोजन भी यश खोडके के नेतृत्व में हुआ. साथ ही उनके द्वारा आयोजित नैशनल कबड्डी टुर्नामेंट में खुद डेप्युटी सीएम अजीत पवार ने हाजिरी लगाई थी. इसके अलावा अमरावती शहर में रहनेवाले एवं समाज के अलग-अलग वर्गों से वास्ता रखनेवाले प्राविण्यता प्राप्त मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने हेतु यश खोडके के नेतृत्व में मेधावी छात्र-छात्राओं का शहर में सबसे बडा सत्कार समारोह भी प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है. जिसमें प्रतिवर्ष ही हजारों मेधावी छात्र-छात्राओं का उनके अभिभावकों सहित भावपूर्ण सत्कार किया जाता है. जिसके चलते यश खोडके की लोकप्रियता व जनस्वीकार्यता लगातार बढती जा रही है.
* नवउद्योजकता को भी प्राथमिकता देते यश खोडके
शहर के राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी अपना पूरा योगदान देनेवाले यश खोडके द्वारा इस बात की ओर भी विशेष ध्यान दिया जाता है कि, सभी लोगों के पास रोजीरोटी कमाने के साधन एवं रोजगार के अवसर भरपूर उपलब्ध हो, जिसके तहत जहां एक ओर महिलाओं को बचत गटों के मार्फत आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास यश खोडके द्वारा शोध प्रतिष्ठान के जरिए किया जाता है. वहीं युवाओं को भी उद्योजकता व स्वयंरोजगार हेतु प्रेरित करने का काम किया जाता है. इसके लिए भी यश खोडके द्वारा एक स्वतंत्र हेल्पलाइन चलाई जाती है.





