* संयुक्त टीम ने की कार्रवाई, परिजनों को दी गई समझाइश
यवतमाल/दि.13– सरकार एवं प्रशासन द्वारा बाल विवाह रोकने हेतु जागरूकता लाने के प्रचार-प्रसार के दावों के बाद भी संभाग सहित राज्य में इसे लेकर जागरूकता नहीं आई है. यद्यपि सूचना मिलने पर कुछ विवाह तो रुकवा लिए जाते हैं, पर कई बाल विवाह के बारे में सूचना नहीं मिल पाती है. अक्षय तृतीया के पर्व पर ऐसे ही पांच मामलों में नाबालिग लड़कियों का विवाह रुकवाया गया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक यवतमाल जिले की दिग्रस तहसील अंतर्गत खेकाडी, घाटंजी तहसील अंतर्गत मुरली, उमरखेड तहसील अंतर्गत कालामुला तथा महागांव तहसील अंतर्गत फुलसावंगी व देवसारी गांव में अक्षय तृतीया पर्व पर बालविवाह आयोजित होने की सूचना जिला बाल कल्याण व संरक्षण समिति को मिली थी. चूंकि अक्षय तृतीया के पर्व पर क्षेत्र में काफी शादियां होती हैं. जिनमें बाल विवाह भी किए जाते हैं. जिसे लेकर प्रशासन पहले से ही सजग था. ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग ने जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर सुपरवाइजर व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को सजग रहने को कहा गया था. वे अपने-अपने क्षेत्र में होने वाले विवाह पर नजर बनाए हुए थे. जिसके चलते नाबालिगों के विवाह की सूचना मिलने पर अलग-अलग संयुक्त टीम ने संबंधित गांवों में पहुंचते हुए दुल्हा-दुल्हन के स्कूली दस्तावेजों की जांच की. जिसमें से पांचों मामलों में दुल्हनों की उम्र विवाह की निर्धारित आयु से कम पाई गई. जिसके बाद टीम के सदस्यों ने परिजनों को बाल विवाह अधिनियम की जानकारी देते हुए समझाईश दी. उनकी काफी समझाने के बाद आखिरकार बालिकाओं के परिजन विवाह रोकने पर तैयार हो गए. वे इस बात पर राजी हो गए कि अब बालिग होने पर ही वे विवाह कराएंगे.
* अधिकांश की उम्र कुछ माह कम
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेंद्र राजुरकर ने बताया कि जो मामले रुकवाए गए हैं, उनमें अधिकांश में बालिकाओं की उम्र निर्धारित उम्र से कुछ माह ही कम पाई गई थी. चुंकि क्षेत्र ग्रामीण है, इसलिए वे केवल सन देखकर बालिकाओं को बालिग मान रहे थे. उन्हे समझाईश दी गई. जिसके बाद परिजन बालिकाओं के निर्धारित आयु पूरी होने पर ही विवाह करने पर राजी हो गए. राजुरकर के मुताबिक महिला व बालकल्याण विभाग लगातार जिले में होने वाले विवाह पर नजर बनाए हुए है.