महिलाओें पर होनेवाले अत्याचारों से त्रस्त होकर 60 परिवारों ने छोडा गांव
एक माह से जंगल में कर रहे गुजर-बसर

* रोजगार और अनाज के बिना हो रहे हाल-बेहाल
यवतमाल/दि.29– इस समय इन्सान एक ओर तो चांद पर इन्सानी बस्ति बसाने के साथ-साथ मंगल पर कदम रखने की तैयारी कर रहा है. वहीं दूसरी ओर इन्सानों का अधिवास रहनेवाली पृथ्वीपर अब भी कई लोगों को जाति की जंजीरों में बांधकर उनकी प्रताडना की जाती है. ऐसा ही एक मामला यवतमाल जिले से सामने आया है. जहां पर घुमंतू समुदाय की महिलाओं व युवतियोें के साथ दिनदहाडे और रात-बेरात होनेवाले लैंगिक अत्याचार से त्रस्त होकर 60 घुमंतू परिवारों को गांव छोडकर पलायन करना पडा और विगत करीब एक माह से ये सभी लोग अपनी औरतों व बच्चों के साथ अपनी जान को जोखिम में डालकर जंगल में रहने के लिए मजबूर है.
यह मामला यवतमाल जिले की महागांव तहसील अंतर्गत मालवाकद गांव में उजागर हुआ है. जहां पर विगत अनेक वर्षों से घुमंतू समुदाय के कई लोग रह रहे है. साथ ही सामाजिक आरक्षण के चलते पिछली बार इस समाज के एक युवक के पास सरपंच पद भी आया था. लेकिन उसके साथ भी गांववासियों द्वारा जमकर मारपीट की गई थी. वहीं गांव के कई शराबी नागरिकों द्वारा घुमंतू समुदाय की महिलाओं को विगत कई वर्षों से लगातार सताया जा रहा है. जिसके तहत खेत में जाते समय अश्लील ताने मारना, किसी अकेली महिला या युवती को देखकर उसका शारीरिक शोषण करना या उसके साथ छेडछाड करना, रात-बेरात उनकी झोपडियों में घुसकर जोर-जबर्दस्ती करना जैसे मामले कई बार घटित हो चुके है. विशेष उल्लेखनीय है कि, घुमंतू समूदाय में यदि यह बातें घर के पुरूषों के ध्यान में आती है, तो सामाजिक प्रथा के अनुसार संबंधित महिला को घर से बहिष्कृत कर दिया जाता है और अब तक बहिष्कृत की जा चुकी कई महिलाओं ने आत्महत्या भी कर ली है. लेकिन इन तमाम बातोें के बावजूद कोई सामाजिक आधार नहीं रहने के चलते घुमंतू समुदाय के लोग विगत लंबे अरसे तक इन अन्यायों व अत्याचारों को सहन करते रहे. साथ ही सहनशिलता खत्म हो जाने पर करीब एक माह पहले इन लोगों ने गांव को छोडकर दो किलो मीटर दूर घने जंगल में एक पाझर तालाब के पास आसरा लिया. किंतु यह तालाब इस समय पूरी तरह से सूखा हुआ है और इन लोगों के पास कोई रोजगार भी नहीं है. ऐसे में कामकाज और भोजन-पानी के बिना इन सभी लोगों के हाल-बेहाल हो रहे है. इसकी जानकारी मिलते ही जिला परिषद की पूर्व अध्यक्षा डॉ. आरती फुपाटे ने गत रोज घने जंगल में पाझर तालाब के पास घुमंतू समूदाय द्वारा बनायी गई कच्ची झोपडियों का दौरा किया. जहां पर उन्होंने घुमंतू समूदाय की महिलाओं के साथ संवाद साधा. इस समय कई महिलाओं ने अपने साथ हुए अन्याय व अत्याचार की कहानियां बतायी. जिन्हें सुनकर उपस्थितों के रौंगटे खडे हो गये.
शनिवार को शिकायत मिलने पर उमरखेड के एसडीओ तथा पुसद के आदिवासी विकास प्रकल्प अधिकारी को घटनास्थल का मुआयना करने हेतु भेजा गया. जिनकी रिपोर्ट मिलने के बाद अगली कार्रवाई की जायेगी. सोमवार को संबंधित नागरिक दुबारा मेरे पास आये थे. अत: मैने अधिकारियों को इस मामले में दुबारा ध्यान देने के निर्देश दिये गये है. संबंधित नागरिकों को उनकी मांग व विकास पैकेज के अनुसार लाभ दिया जायेगा.
– अमोल येडगे
जिलाधीश, यवतमाल
हमारे गांव में किसी भी समाज के बीच कोई विवाद नहीं है. किंतु बाहर के कुछ नेता यहां आकर विवाद बढाने का काम कर रहे है और एक ही पक्ष का कथन सुना जा रहा है. यदि हमारे भी पक्ष को सुना जाता है, तो शायद कोई विवाद ही नहीं रहेगा.
– चंचल विनोद जाधव
सरपंच, मालवाकद