यवतमाल

जाति पडतालणी के ७० फीसदी मामले खून के रिश्तों के

समिति का निरीक्षण

यवतमाल प्रतिनिधि/दि.१३.- जाति प्रमाणपत्र पडताल समिति के सामने आनेवाले ७० फीसदी मामले यह खून के रिश्तों के रहने से समिति के सामने हाजरी व दस्तावेजों की जांच केवल औपचारिकता साबित हाने की पृष्ठि निरीक्षण समिति ने की है. यह प्रक्रिया सरल बनाने के लिए कुछ सुझाव भी समिति ने सरकार के पास भेजे है.
यहां बता दें कि राज्यभर में जाति प्रमाणपत्र और उनकी पडताल सरलता से की जाए, इसी माध्यम से शासकीय यंत्रणाओं पर बढ़ रहा काम का बोझ और नागरिकों का समय व पैसा बचाने के उद्देश्य से अमरावती जिला जाति प्रमाणपत्र पड़ताल समिति के उपायुक्त तथा सदस्य ने हाल ही में सरकार को बदलाव की दृष्टि से सुझाव दिए है. जिसके तहत हाल की स्थिति में जाति प्रमाणपत्र समिति के पास आनेवाले आवेदनों में से लगभग ७० फीसदी आवेदन खून के रिश्तों का संबंध रखनेवाले व्यक्तियों के वैद्यता प्रमाणपत्र जोडे हुए होते है. इन मामलों में समिति के सामने हाजरी देना यह केवल औपचारिक प्रक्रिया रहती हे. मुंबई उच्च न्यायालय ने मंगेश काशिद मामले में यह निरीक्षण पंजीयन कराया है. इस मामले में संबंधितों को पड़ताल के लिए मौजूद ना हरते हुए भी मामले का निपटारा किया जा सकता है. इसके लिए रिश्तेदारों को जाति प्रमाणपत्र देते समय पड़ताल का उल्लेख करने की सूचना दी गई है. किसी की शिकायत रहने पर ही मामला समिति के सामने लाया जाए. इससे पूर्व अधूरे प्रशिक्षण, जानकारी का अभाव रहने से गलती से किसी को वैद्यता दी गई है तो मामले के पुर्नविचार के लिए समिति के पास लाया जा सकता है. हाल की घड़ी में इन मामलों को समय और पैसा खर्च कर सीधे उच्च न्यायालय में जाना पड़ रहा है.

आवेदकों रिश्ते में आनेवाले रिश्तेदारों का जाति वैद्यता प्रमाणपत्र की जांच होने पर उसको जाति प्रमाणपत्र देते समय उस पर उल्लेख कर राहत दी जा सकती है. यह बदलाव करने से सरकारी यंत्रणा व नागरिकों की परेशानियां बचेगी और सरकारी कामकाज भी आसान होगा.
सुनील वारे, उपायुक्त तथा सदस्य, जिला जाति पड़ताल समिति, अमरावती

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