यवतमाल/प्रतिनिधि दि.१ – मार्च एंडिंग की शुरुआत में छात्रवृत्ति की रकम देने वाली केंद्र सरकार ने इस वर्ष मार्च एंडिंग की समाप्ति पर भी अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति के लगभग 800 करोड़ रुपए नहीं दिये हैं. जिसके चलते लाखों छात्र निर्वाह भत्ते से वंचित है.
छात्रवृत्ति के लिये केंद्र सरकार का 60 प्रतिशत तो राज्य सरकार के 40 प्रतिशत होते हैं. गत पांच वर्षों से केंद व राज्य सरकार की ओर से छात्रवृत्ति, शिक्षा शुल्क, परीक्षा शुल्क की निधि नियमित प्राप्त होती है. हर वर्ष केंद्र सरकार का बजट संसद में प्रस्तुत होने के बाद नये आर्थिक वर्ष की शुरुआत में ही यानि अप्रैल माह में अनुसूचित जाति के लिये भारत सरकार मेट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति अंतर्गत सामाजिक न्याय विभाग को अनुदान प्राप्त होता है. लेकिन 2020-21 इस आर्थिक वर्ष में अप्रैल 2020 में अपेक्षित अनुदान 31 मार्च 2021 खत्म होने पर भी केंद्र सरकार की ओर से प्राप्त नहीं हुआ. गत अनेक वर्षों में पहली बार यह प्रकार घटा है. इसके लिये कारण क्या है?
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति के लिये केंद्र सरकार व्दारा 800 करोड़ रुपए अपेक्षित है. लेकिन 31 मार्च खत्म होने के बाद भी एक रुपए तक प्राप्त नहीं हुआ है. इसका परिणाम अनुसूचित जाति प्रवर्ग के लाखों विद्यार्थी निर्वाह भत्ते से वंचित रहने पर हुआ है. बावजूद इसके कायम विनाअनुदानित तत्व पर चलने वाली निजी शिक्षा संस्थाएं भी आर्थिक दिक्कतों में आयी है.
राज्य की सभी अभियांत्रिकी व वैद्यकीय संस्थाओं में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों का शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क संस्था में अब तक जमा नहीं हुआ है. इन संस्थाओं के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का वेतन अनेक महीनों से रुका है. केंद्र से पैसे न आने के कारण खर्च कैसे चलाया जाये, ऐसा प्रश्न संस्थाओं के सामने उपस्थित हुआ है.