यवतमाल प्रतिनिधि/दि.२५ – केन्द्र सरकार की ओर से देशभर की बिजली कंपनियों का निजीकरण करने का षडयंत्र रचा गया है. इसके लिए एक मसौदा २० सितंबर को घोषित किया गया है. इस मसौदे के प्रावधानों को देखते हुए बिजली क्षेत्र के कर्मचारी संगठनाओं की ओर से अभी से ही विरोध और आंदोलन करने का मूड बना लिया गया है. यहां बता दे कि केन्द्र सरकार के ऊर्जा विभाग की ओर से बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण करने के लिए स्टैंडर्ड बिडिंग दस्तावेजों का मसौदा तैयार किया गया है. यह मसौदा चर्चा के लिए २० सितंबर को घोषित किया गया. बिजली अधिनियम में सुधारना करने के लिए यह मसौदा तैयार कर जनता से मत मांगे गई थे. लेकिन यह मसौदा वाला बिल इस सत्र की लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किया गया.वर्ष २०१४ में बिजली वितरण कंपनी के वितरण और आपूर्ति यह दो हिस्से निर्धारित किए गये. लोकसभा में यह बिल पारित किया गया. लेकिन उसे कानूनी रूप देना संभव नहीं हो पाया. अब संपूर्ण बिजली कंपनी के निजीकरण करने का षडयंत्र केन्द्र ने रचा हैे. जिस कंपनी में ५१ फीसदी शेयर्स है वही कंपनी का मालक रहने के केन्द्र की नीतिया है. महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी में केवल वितरण और आपूर्ति यह दो हिस्से बांटे गये है. प्रत्येक वर्ष लगने वाले राजस्व और उससे प्राप्त राजस्व मिलाकर नियामक आयोग से हर एक प्रस्ताव को मंजूरी दिलवाई है.
११ राज्यों के मुख्यमंत्रियों का विरोध
केन्द्र के इस मसौदे व उसकी आड में शुरू रहनेवाले निजीकरण के प्रयासों को देश के महाराष्ट्र सहित ११ राज्यों के मुख्यमंत्रयों ने और तीन केन्द्र शासित प्रदेशों ने तीव्र विरोध जताया है.
मसौदे को लेकर अनेक पहलूओं का समावेश
केन्द्र के मसौदे में अनेक पहलूओं का समावेश किया गया है. इनमें ज्यादा से ज्यादा शेअर्स खरीदी , तकनीकी मूल्यांकन समिति की निर्मिति, बिजली कंपनी के शेअर होल्डिंग, बिजली खरीदी, बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए लगनेवाला अवधि बिजली कंपनियों पर रहनेवाली जिम्मेदारिया तकनीकी और वाणिज्य कमी, कर्मचारी तबादला योजना आदि का समावेश किया गया है.
केन्द्र सरकार ने निजीकरण का षडयंत्र रचा है. बिल मंजूर होने पर राज्य के अधिकारों पर गाज गिरेगी. जिसका आम नागरिको को भी झटका लगेगा. हालाकि इस बिल के विरोध में देशभर में कर्मचारी संगठन आंदोलन करेगी.
कृष्णा भोयर,
महासचिव एमएसईबी वर्कर्स फेडरेशन
मुंबई